SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 228
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महाकवि ज्ञानसागर के काव्य-एक अध्ययन उसने अपनी बालक्रीड़ामों से अपने माता पिता एवं परिजनों को मोह लिया है।' उसमें महापुरुषों के लक्षण हैं। इसी कारण उसकी माता उसके जन्म के पूर्व उसकी घोरता, दानवीरता; सद्गुणसम्पन्नता, देवप्रियता, मुमुक्षता मादि गुणों को सूचित करने वाले सुमेरु पर्वत, कल्पवृक्ष, रत्नाकर, निम प्रग्नि और प्राकाशचारी विमान को स्वप्न मे देखती हैं। सुदर्शनोदय महाकाव्य का नायक सुदर्शन 'सुदर्शनोदय' महाकाव्य की कथा का केन्द्र होने के कारण इस काम्य का नायक है । काव्यशास्त्रीय दृष्टि से उसे धीरप्रशान्त नायक की कोटि में रखा जा सकता है। मरभुत ग्रहण शक्ति ___ सुदर्शनोदय में किसी वस्तु को ग्रहण करने की अद्भुत क्षमता है। कुमारा. वस्था में विद्याप्राप्ति के लिए उसे गुरुजनों के पास भेजा गया । शीघ्र ही उसने सभी विचामों को ग्रहण कर लिया। सरस्वती देवी उसकी वशवर्तिनी हो गई। मादर्श प्रेमी और पति जिन मन्दिर में पूजन के लिए गया हुआ सुदर्शन, सेठ सागरदत्त की पुत्री मनोरमा के प्रति प्राकर्षित हो जाता है। बाद में सुदर्शन एवं मनोरमा का विवाह भी हो जाता है, किन्तु सुदर्शन ऐसा मनुकूल नायक है कि मनोरमा के अतिरिक्त अन्य किसी स्त्री की ओर प्रांख उठाकर भी नहीं देखता। साधारण स्त्रियों की तो बात हो क्या, रानी अभयावती के सामन्त्रण को भी वह ठकरा देता है। स्पष्ट है कि पूर्वजन्म के समान ही इस जन्म में भी वह मनोरमा से सच्चा प्रेम करता है। पैराग्यमावना जैसे ही सुदर्शन के पिता एक ऋषिराज से दीक्षा लेकर मुनि बन जाते हैं, १. सुदर्शनोदय, ३१२०-२७ २. वही, २०११-१८, ३६-४. ३. सामान्यगुणयुक्तस्तु धीरशान्तो विजादिकः । -दारूपकः शचतुर्ष का उत्तरार्ष । ४. सुदर्शनोक्य, ३१३१ ५. बही, २३४, ४८ १. 'अनुकूलस्स्वेकनायिकः।' -दशरूपक, २१७वीं कारिका के उत्तरार्षका अन्तिम परण। ७. सुदर्शनोदय, २९
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy