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महाकवि ज्ञानसागर के काव्य -एक अध्ययन
राजा प्रकम्पन
राजा प्रकम्पन भरत चक्रवर्ती के अधीनस्थ राजा हैं। यह काशी नगरी पर शासन करते हैं। इनकी पत्नी का नाम सप्रभा है। हेमांगद इत्यादि इनके एक हजार वीर पुत्र हैं । सुलोचना पोर अक्षमाला इनको दो पुत्रियां हैं । यह राजनीतिज्ञ हैं। मीर
इनके स्वभाव में किचित् भीरुता भी है। स्वयंवर में सुलोचना बयकुमार का वरण करती है और पराजित प्रर्ककीति क्रुद्ध हो जाता है । तब चक्रवर्ती के पुत्र के क्रोध को देखकर यह घबड़ा जाते हैं । अपनी पुत्री के सौभाग्य मौर चक्रवर्ती के पुत्र के क्रोध के बीच यह अत्यन्त किंकर्तव्यविमूढ़ता का अनुभव करते हैं।' चक्रयर्ती की कोप-भाजनता से बचने के लिए अपनी दूसरी पुत्री प्रक्षमाला का विवाह प्रकीति से कर देते हैं।२ योग्य सामन्त एवं जिम्मेदार अभिभावक
राजा प्रकम्पन एक योग्य सामन्त हैं। वह अपने राज्य की प्रत्येक घटना भरत चक्रवर्ती के पास भेजते रहते हैं। प्रककीर्ति के विवाह का समाचार भी यह उनके पास भेज देते है। इससे सम्राट के प्रति इनको विनम्रता का ज्ञान हो जाता है।
प्रत्येक सुयोग्य अभिभावक के समान राजा प्रकम्पन भी अपनी पत्रियों के विवाह के प्रति चिन्तित हैं। सुलोचना का विवाह वह स्वयंवर-विधि से सम्पन्न करते हैं, और अक्षमाला का विवाह प्रर्ककोति को योग्य समझकर उसके साथ कर देते हैं।
— दया, ममता, स्नेह से युक्त राजा अकम्पन वास्तव में स्तुत्य हैं। वीरोदय के पात्रभगवान महावीर.. भगवान महावीर के लोकविश्रुत चरित्र को प्राज न केवल जैनधर्मानुयायी जानते हैं, अपितु भारत का प्राय: प्रत्येक प्रबुद्ध नागरिक जानता है। भगवान् महावीर जैनधर्म के २४वें तीर्थङ्कर हैं। कुण्डनपुर के शासक राजा सिद्धार्थ की पटरानी प्रियकारिणी के गर्भ से प्रापका जन्म चैत्रमास की शुक्ल-पक्ष की त्रयोदशी
१. जयोदय, ७५५ २. वही, १९ ३. वही, ६।६२ ४. वही, सर्ग ३, सर्ग ७ ५. वही, १३, १६.