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________________ महाकवि ज्ञानसागर को पात्रयोजना १५९ इस प्रकार हम देखते हैं कि जयकुमार में यशस्विता, सत्यप्रियता, भक्ति, सुन्दरता, अपराजेयता मादि सभी श्रेष्ठ गुण विद्यमान हैं। सुलोचना यह काशी के राजा प्रकम्पन की पुत्री है। इसकी माता का नाम सुप्रभा है। यह 'जयोदय' काव्य के नायक जयकुमार की पत्नी मौर काव्य की नायिका है । इसकी छोटी बहिन का नाम प्रक्षमाला है। सौन्दर्यशालिनी. सुलोचना लावण्य की निधि हैं। इसका अंग-प्रत्यंग सुन्दर है । नित्य नवीन सौन्दर्य को धारण करने वाली सुलोचना चन्द्रलेखा के समान सबको प्रसन्न करने वाली है । इसने कुमारावस्था को छोड़कर युवावस्था में प्रवेश कर लिया है । इसके हाप कमल के समान हैं। चन्द्रमा इसके मुख को कान्ति की कुछ ही समता धारण करता है। काजल से युक्त इसकी प्रांखें लोगों के हृदय को मनायास ही माकर्षित कर लेती हैं । इसकी भौहें कामदेव की धनुलंता के समान हैं । इसका अपरोष्ठ बिम्ब फल के समान रक्तवर्ण वाला है । इसकी चोटी नागिन के समान लहराती हुई काले बालों वाली है । मध्यदेश में रसकूपिका के समान नाभि सुशोभित है। विधाता ने मानों नाभिरूपी बाबड़ी को खरीदने के लिए ही रोमराजिरूपी कदाली का निर्माण किया है । इसका शरीर सुवर्ण के समान कान्तियुक्त है। इसकी जंघायें गोल और रोमों से रहित हैं। उदर पर त्रिवलि सुशोभित है।' इसके नेत्र मछली के समान चंचल हैं । इसके स्तन कालागुरु के लेपन से युक्त एवं पुष्ट हैं। इसके चरण-कमलों की कान्ति लाल है । इस मगनयनी का सौन्दर्य रम्भा को भी पराजित करने वाला है। इस विशाल नितम्बों वाली सुलोचना की त्रिवली में सरस्वती, लक्ष्मी और सती की शोभा विद्यमान है। चतुर और गुणग्राहिका स्वयंवर-मण्डप में अनेक राजा बैठे हैं। विद्यादेवी सुलोचना को प्रत्येक राषा का परिचय देती जाती है। विद्यादेवी के परिचय में कसो व्यंजना है ? इसे यह अच्छी तरह समझ जाती है । सब राजाओं को छोड़कर जब सुलोचना बयकुमार के पास पहुँचती है, तब विद्यादेवी जयकुमार का विस्तृत प्रशंसात्मक परिचय देती है। जयकुमार के गुणों से प्रभावित होकर यह जयकुमार के गले में जयमाला डालकर अन्य राजाओं को निराश कर देती है। १. अयोदय, ३१३७-६२ २. वही, ११वा सर्ग। ३. वही, ६।५-१२७
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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