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________________ १५८ महाकवि ज्ञानसागर के काग्य -एक अध्ययन की भांति पृथ्वी का भार सम्भाल रखा है। यह विद्वान् भी हैं। प्रताप में सूर्य के समान हैं। इनकी कीर्ति चन्द्रमा की ज्योत्स्ना के समान है। यह याचकों की प्रभिलाषा पूर्ण करने वाले हैं। इनकी भुजाय इन्द्र के हाथो को सूंड के समान लम्बी पौर बलशाली हैं। राजा जयकुमार से हो पृथ्वी का राजन्वती नाम सार्थक है। इनके सुन्दर चरणों के समक्ष कमलों की कोई गिनती नहीं। इनके हाथ कल्पवृक्ष के समान हैं । इनके नेत्र नीलकमल के समान हैं। कमल पौर चन्द्रमा प्रयत्न करके भी इनके मुख की समता नहीं कर सके हैं। इनका गला शंख को पराजित करने वाला है।' अत्यन्त यशस्वी जयकुमार के उपर्युक्त गुणों से प्रभावित होकर ही सुलोचना ने चक्रवर्ती के पुत्र को भी छोड़कर उनका वरण किया। काशीनरेश का दूत भी बब सुनोचना के स्वयंवर का समाचार लाता है, तब वह भी जयकुमार को सुलोचना के लिए सर्वथा योग्य बता देता है। राजनीतिज्ञ और विनम्र जयकुमार एक श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ भी हैं। इनकी सभा शरत्कालीन राजहंस के परिवार के समान है, जिसमें विद्वान् और सहृदय सभासद् बैठते हैं। उस सभा में प्रजा का हित चाहने वाले मंत्री, कुशल पुरोहित मोर कार्य में तत्पर दूत हैं। जयकुमार के गुणों का प्रसार करने वाले चारण भी हैं। एक योग्य राजा के समान जयकुमार सभा में पाये हुये काशीनरेश के दूत का स्वागत करते हैं। युद्ध में मर्ककीति को पराजित करने के बाद जब यह सुलोचना से विवाह कर लेते हैं, तब यह भरत चक्रवर्ती के पास प्रयोध्या जाकर अपने अपराधहेतु क्षमायाचना भी करते हैं। भ्रमणशील जयकुमार को घूमने का बहुत शौक है । यह आये दिन वन-उपवन में विहार करने जाते रहते हैं । विवाह के पश्चात् अपने साथियों सहित गंगा नदी के तट पर पड़ाव डाल देते हैं। यहां पर इनके साथी वन-क्रीडा करते हैं। अब सुलोचना और जयकुमार को अपने पूर्वजन्म का स्मरण हो जाता है, तब जयकुमार सुलोचना के साथ तीर्थाटन को निकल पड़ते हैं। सुमेरु, उदयाचल पोर हिमालय पर्वत पर भ्रमण करते हैं। १. जयोदय, ११३-६३ २. वही, ३।६७ ३. वही, २०११-३१ ४. वही, त्रयोदश एवं चतुदंश सर्ग। ५. वही, ३४।१-५७
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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