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महाकवि ज्ञानसागर के काव्य-एक अध्ययन बनकोड़ा,' मधुपान, सुरतक्रीड़ा, विवाह, दूताभियान,' संवाद' एवं तीर्थयात्रा इत्यादि भी कवि द्वारा काम्य में वर्णित किये गये हैं।
जयकुमार 'जयोदय' के नायक है। कवि ने इस महाकाव्य में जयकुमार के द्वारा अनेक बार बाह्य और प्रान्तरिक विपत्तियों के ऊपर प्राप्त विजय का वर्णन किया है। अन्त में जयकुमार की अपने ऊपर विजय द्वारा कवि ने नायकाभ्यदय को और भी अधिक महत्त्व प्रदान किया है।'
प्रायः सभी पार्मिक काध्यों में ऋषि-मुनियों का वर्णन अवश्य ही होता है। 'जयोदय' जैनधर्म पर माधारित महाकाव्य है। इसमें दो बार मुनियों का उल्लेख मिलता है । सर्वप्रथम जब जयकुमार वनक्रीड़ा के लिये जाते है, तब वहाँ एक तपस्वी पहुंचते हैं ऋषि-वर्णन से सम्बद्ध द्वितीय स्थल वह है जहां पर पुत्र का राजतिलक करने के बाद जयकमार ऋषभदेव के पास जाकर उनसे बीमा की याचना करते हैं।"
उपर्युक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि 'बयोक्य' विविधस्वतीय वर्णन मोर प्रसान्तों से सुशोभित है । कवि का यह विविध-वर्णन उसकी सूक्ष्म-दर्शन-शक्ति का परिचायक है। .. जयोदय' महाकाव्य में स्थान-स्थान पर श्रङ्गार, बीर, और शान्त रसों कापौर भक्तिभाव'५ का परिपाक देखने को मिलता है। श्रङ्गार रस, वीर रस और भक्ति भावं इस काव्य के मंगोरस-शान्तरस-को पुष्ट करने वाले हैं।
१. योदय, १४१७.६९ २. बही, १७वा सर्ग ३. वही, १७वा. सर्ग ४. वही ५, ६, १०, ११, १२सर्ग १. वही, २२१-१५, १६-७३, ६।५८-९४ १. वही, ७वा सर्ग ७. वही, २४वा सर्ग ६. बही, (क) अहम सग ।
. (ब) २८वा सर्व । १. वही, २०७१ १०. वही, ११७७ ११. वही, २६०७३-७४ १२. वही, २२वा मोर २८वा सर्ग। १३. वही, १८५-११५, ८या सर्व । १४. वही, २५-२८ सर्ग। " वही, १९षा सर्व, २१