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________________ এবামীর বির্য २. प्रारम्भ में मंगलाचरण के रूप में कवि ने जिनदेव की वन्दना की है। "श्रिया श्रितं सन्मतिमात्मयुक्त्याखिनज्ञमीशानमपीति मक्त्या । - तनोमि नत्वा जिनप सुभक्त्या जयोदयं स्वाम्भुदयाय शरत्या ।। - जयोदय, ११ ३. जयोदय का कथानक 'महापुराण' में कहे गये जयकुमार और सुलोचना वृत्तान्त पर साधारित है। ४. जयोदय महाकाश्य में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष रूप पुरुषार्थ-चतुष्टय का भी यथास्थान वर्णन है।' काव्य के अन्त में जयकुमार द्वारा की गई तपस्या मोक्षरूप पुरुषार्थ को सिद्ध करती है ।२ . ५. जयोदय महाकाव्य के नायक जयकुमार हैं । भरत चक्रवर्ती के सेनापति का पद उन्हें प्राप्त है। वह क्षत्रियकुलोत्पन्न हैं। वह बीरादात्त और चतुर हैं। उसमें राजनीतिज्ञता, वारुता, बुद्धिमत्ता, विता, धमिकता, अपराजेयता मादि श्रेष्ठ गुण विद्यमान हैं। ३. जयोदय में विविध स्थलों का और वृत्तान्तों का मुन्दर वर्णन है। इस महाकाव्य में कवि ने काशी, हस्तिनापुर, और अयोध्या नामक नगरो का यथास्थान वर्णन किया है। कवि ने अपने इस महाकाव्य में पर्वत, वन, सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय," चन्द्रास्त,१२ प्रभात,१३ सन्ध्या,४ अन्धकार'५ पोर रात्रि इन सभी का मनोहारी वर्णन किया है। १. (क) जयोदय, २४॥५८८५ (ब) वही, १०.१३ सर्ग (ग) बही, २६-२८ सर्ग २. वही, २८१-६८ ३. वही, ६।११४ ४. वही, ३१३० ५. वही, १९१६७८६ वही, २०१२-६ वही, २४॥२-५७ वही, २११४१-६४, १४।४-६ वही, १८।१-३२ १०. वही, १५॥१-६ ११. वही, १९, ७४-८२ १२. वही, १८६३ १३. वही, १८वां सर्ग १४. वही, १२५३-३७ १५. वही, १५॥३५-३७ ११. वही, १५॥३८-१.८
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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