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महाकवि ज्ञानसागर के संस्कृत-काव्य-अन्धों के स्रोत करता है ।' 'सुदर्शनोदय' में मुनि उसे मंत्रोच्चारण का उपदेश देते हैं । (१) बहत्कयाकोश' में बाद की कथा में मनोरमा का वर्णन बिल्कुल नहीं है। सुदर्शनोदय' के अनुसार मनोरमा पति का अनुकरण करती हुई ही प्रायिका का व्रत धारण कर लेती है। परिवर्षन(क) 'सुदर्शनोदा' में वर्णित माता का स्वप्न दर्शन का वर्णन बृहत्कयाकोश' में . नहीं है। (३) 'सुदर्शनोग्य' में वणित मनोरपा एवं सुदर्शन के पूर्वजन्मों का वर्णन' 'बृहत्कथाकोश' में नहीं है। .. (ग) 'सुदर्शनोदय' में वरिणत ग्वाले द्वारा मुनि की शीतबाधा दूर करने का वृत्तान्त' बृहत्कथाकोश' में नहीं है। (घ) 'सुदर्शनोदय' में वर्णित सुदर्शन और मनोरमा के परस्पर दर्शन के फलस्वरूप उत्पन्न प्रेम का वर्णन 'बृहत्कथाकोश' में नहीं है। सुरंगणवरिउ और सुदर्शनोदय
• मुनि नयनंदि विरचित 'सुदंसणचरिउ' सुदर्शनोदय' से निम्नलिखित गतों में भिन्न हैं : -- (क) 'सुदंसणचरिउ' में वर्णित राजा श्रेणिक और उनके राजपरिवार का 'सुदर्शनोदय में उल्लेख नहीं है। (ख) 'सुदंमाण वरिउ' में सेठानी का नाम प्रहंदासी है, जबकि 'सुदर्शनोदय' में जिनमति है। (ग) 'सुदंसणचरिउ में पाले का वृत्तान्त कथा के प्रारम्भ में है ।' 'सुदर्शनोक्य' में यह वृत्तान्त पर्वजन्मवर्णन के प्रसंग में है ।१२ (घ) 'सुदंसरण परिउ' में बहुत सी गायों के गंगा नदी में प्रविष्ट होने का वर्णन १. बृहत्कथाकोग, ६०११-१४ २. सुदर्शनोदय, ४२५ ३. वही, ८।२७, ३३.३५ ४. वही, २।१०-१६ ५. वही, ४१६-३७ ६. वही, ४१२४ ७. वही, ३४३४.३५ ८. सुदंसणचरिउ, १, २१ १. वही, ४५ १०. सुदर्शनोदय, २१४ ११. सदसणचरिउ, २१६-१५ १२. सुदर्शनोदय, ४१८, २२-२७