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________________ महाकवि ज्ञानसागर के काव्य-एक अध्ययन (3) 'बृहत्कयाकोश' के अनुसार कपिला ब्राह्मणी ने सुदर्शन को उसकी हत्या की धमकी दी है, किन्तु 'सुदर्शनोदय' में ऐसा वर्णन नहीं मिलता। () 'बृहत्कथाकोश' में दासी द्वारा सात पुतले बनवाने का वर्णन है । किन्तु सदर्शनोदय में एक ही पुतला बनवाने का वर्णन है। (ण) 'वृहत्कथाकोश' के अनुसार सुदर्शन को प्रजेय जानकर राजा ने सुवर्णकमलों से उसका स्वागत किया और प्राषा राज्य लेने का निवेदन किया। किन्तु 'सुदर्शनोदय' में केवल राज्य लेने की प्रार्थना करने का वर्णन है। (त) 'बृहत्कथाकोश' के अनुसार राजा पोर सुदर्शन के बार्तालाप के बीच में ही विमलवाहन नामक मुनि प्राये; सुदर्शन की याचना पर उन्होंने उसे दैगम्बरी दीक्षा दे दी।' किन्तु 'सुदर्शनोदय' के अनुसार राजा को सम्पत्ति ठुकराकर सुदर्शन मनोरमा के समीप जाता है। तत्पश्चात् उससे परामर्श करके दीक्षा ग्रहण करता (घ) 'बृहत्कयाकोश' के अनुसार सुदर्शन की निश्चलता देखकर निराश देवदत्ता उसे श्मशान में छोड़ पाती है। किन्तु 'सुदर्शनोदय' के अनुसार देवक्ता सुदर्शन की हड़ता देखकर उनसे धर्मोपदेश का भाग्रह करती है। (द) 'बृहत्कथाकोश' के अनुसार पण्डिता एवं देवदत्ता सुदर्शन के कैवल्यज्ञान के पश्चात् सुदर्शन से धर्मोपदेश सुनकर श्रावक धर्म को धारण करती है। लेकिन 'सुदर्शनोदय' में सुदर्शन से पोपदेश सुनकर उसकी कंवल्यज्ञानप्राप्ति के पूर्व ही संयम धारण करने का वर्णन है।" (घ) बहत्कयाकोश' में वरिणत भ्यन्तरी (मभयमती) द्वारा श्रावक व्रत को धारण करने का वर्णन 'सुदर्शनोदय' में नहीं है। (न) बहत्कयाकोश' में ग्वाला मुनि के उच्चारण करने पर मंत्र का ज्ञान प्राप्त १. बृहत्कथाकोश, ६०४७ २. वही, ६०६१ ३. सुदर्शनोदय, ७१ ४. वृहत्कपाकोश, ८००२३ ५. सुदर्शनोदय, ८।१३ ६. बृहत्कथाकोश, ६०।१३० ७. सुदर्शनोवय, ८।१४-३२ ८. बृहत्कषाकोश, ६०।१५१ ६. सुदर्शनोदय, ६।३०-३१ १०. बृहत्कथाकोश, ६०।१६८ ११. सुदर्शनोदय, ६७३-७४ १२. बृहत्कबाकोष, ६.१३९
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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