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________________ .. महाकवि ज्ञानसागर के काव्य - एक अध्ययन है।' किन्तु 'सुदर्शनोदय' में केवल एक भैस के सरोवर में घुसने का वर्णन (ङ) सदसणचरिउ' के अनुसार नदी में स्थित ठ की नोक से हृदय विध के कारण मृत्यु को प्राप्त ग्वाले ने मरने के पहले सेठ के यहाँ पुत्र रूप में उत्पन्न हान की कामना की, किन्तु सदर्शनोदय' में ऐमा उल्लेख नहीं मिलता। (च) 'सुदंसणचरिउ' में सुदर्शन के जन्म, विवाह एवं मोक्ष की तिथियों का विस्तार से उल्लेख है । 'सुदर्शनोदय' में इसका प्रभाव है। (छ) सदसणचरिउ' के अनुसार मुनिराज ने सेठ के पुत्र का नामकरण किया । 'सुदर्शनोदय' में सेठ ने स्वयं पुत्र का नामकरण किया । (ज) 'सुदंसरण चरिउ' के अनुसार विद्या प्राप्ति के बाद मदर्शन सोलह साल का था। पर 'सुदर्शनोदय' में सुदर्शन की अवस्था का कोई उल्लेख नहीं है । (झ) 'सुदंसणचरिउ' में उल्लिखित मनोरमा की माता रागरसेना का 'सुदर्शनोदय' में कोई उल्लेख नहीं है ।। (अ) 'सदसणाचरिउ' के अनुसार सुदर्शन ने बाजार में जाने हुए मनोरमा को देखा। किन्तु 'सुदर्शनोदय' के अनुसार जिनभन्दिर में दोनों का प्रथम साक्षात्कार हुमा। (ट) 'सुदंसण नरिउ' के अनुसार सेठ सागरदन और संठ वृषभदास अपनी पुत्री एवं पुत्र के विवाह के लिए परस्पर वचनबद्ध थे।' 'सदर्शनाय' म मा तर्णन नहीं है। . (ठ) 'सुदंगणचरिउ' में उल्लिखित श्रीधर ज्योतिषी का', 'सदा दय : उल्लेख नहीं मिलता। (ड) सदसणचरिउ' के अनुसार सेठ के साथ सेठानी ने भी तपस्चर किया। १. सुदसरण चरिउ, २.१४ २. सुदर्शनोदय, ४:२६ ३. सुदंसरण चरिउ. २०१४ ४. वही, ३१३, ५।४, १२।६ ५. बही. ३। ६. सुदर्शनोदय, ३१५ ७. सुदंसणचरिउ, ३६ ८. वही, ४१ ६. वही, ३।३ ५।४, ४१ १०. सुदंर्शनोदय, ३.३४.३५ ११. स दंभगाचरिउ, ५।२ १२. वही, ५।३ १३. वही, ६।२०
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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