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________________ महाकवि ज्ञानसागर के काव्य-एक अध्ययन (ख) 'महापुराण' में 'वीरोदय' में वर्णित इस बात का उल्लेख नहीं मिलता कि जब इन्द्र भगवान् महावीर का जन्माभिषेक करके स्वर्ग चला गया, तब राजा सिद्धार्थ ने पुनः उनका जन्माभिषेक किया।' (ग) 'महापुराण' में 'वीरोदय' में वर्णित इस बात का भी उल्लेख नहीं मिलता कि भगवान् के युवक होने पर उनके विवाह का प्रस्ताव माया, जिसे उन्होंने अस्वीकृत कर दिया ।२ (घ) 'वीरोदय' में उक्त घटना के बाद ही भगवान् के विरक्त होने का वर्णन है । यह वर्णन भी 'महापुराण' में नहीं मिलता। (ङ) 'वीरोदय' में पौराणिक प्राख्यानों और ऋषभदेव से सम्बन्धित घटनामों का वर्णन है।४ 'महापुराण' में भगवान् के उपदेश के बीच में इन कथापों का उल्लेख नहीं है। (च) भगवान् महावीर के पश्चात जैन-धर्म में ह्रास भोर परिवर्तन का जो वर्णम 'वीरोदय' में किया गया है, वह 'महापुराण' में नहीं है । (छ) सुदर्शनोदय महाकाव्य के कथानक का स्रोत 'सुदर्शनोदय' के नायक सुदर्शन की कथा हमें अनेक पूर्ववर्ती कवियों द्वारा रचित कथाकोशों एवं काव्यों में देखने को मिलती है, जिनमें (क) हरिषेणाचार्यकृत बृहत्कथाकोश, (ख) मुनि नयनन्दि कृत सुवंसरणचरिउ, (ग) रामचन्द्र मुमुक्षकृत पुण्यास्रव कथाकोश (घ) नेमिदत्ताचार्यकृत पाराधनाकथाकोश (ङ) सकलकोतिकृत सुदर्शनचरित और (च) विद्यानन्दिविरचित सुदर्शनचरित उल्लेखनीय हैं। क्रमशः इन सबका सारांश प्रस्तुत हैवृहत्कथाकोश में वरिणत 'सुमग गोपाल' के कथानक का सारांश___अंगदेश में विद्यमान चम्पापुरी में दन्तिवाहन नाम का राजा राज्य करता था। उस राजा की रानी का नाम प्रभया था। रानी की पण्डिता नाम की एक दासी थी। इसी नगर में ऋषभदास नामक सेठ अपनी स्त्री जिनदासी के साथ रहता था। इस सेठ की भैसों को सुभग नाम का ग्वाला चराया करता था। एक दिन सुभग भैसों को चराने के लिए जंगल में गया। लोटते समय मार्ग में उसने शीतकाल में एक चारणमुनि को तप करते हुए देखा। घर माकर वह सो गया। मुनि के गुणों पर प्राकष्ट होकर वह प्रातःकाल पुनः भैसों को लेकर उसी दिशा की ओर चल पड़ा। वहां मुनि को नमोऽहंते मन्त्रोच्चारणपूर्वक १. वीरोदय, ८।१.६ २. वही, ८।२२-४६ ३. वही, नवम सर्ग। ४. वही, ८।३६-४१, १७४२०, ३७, १८।११-४३ ५. वही, २२वा सर्ग,
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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