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महाकवि ज्ञानसागर के संस्कृत-काव्य-ग्रन्थों के स्रोत
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(ण) व्रत की पारणा के लिए भगवान् का कूलग्राम जाना, वहां के राजा कूल से प्रादर प्राप्त करना, तत्पश्चात् दश प्रकार के धयंज्ञान में लीन होना इत्यादि' 'महापुराण' में वर्णित बातों का वर्णन 'वीरोदय' में नहीं है ।
(त) 'महापुराण' में वरिणत महादेव रुद्र द्वारा ली गई भगवान् की परीक्षा का उल्लेख भी 'वीरोदय' में नहीं है।
(य) राजा चेटक की पुत्री चन्दना का उल्लेख भी 'महापुराण' में ही है। 'वीरोदर' में नहीं।
(द) 'महापुराण' में वर्णन है कि जम्भिक ग्राम के समीपस्थ ऋजुकूला नदी के तटवर्ती मनोहर नामक बन में भगवान् को कैवल्यज्ञान प्राप्त हुमा ।। 'वीरोदय' में इन स्थानों का उल्लेख नहीं है ।
(घ) 'महापुराण' में वर्णन है कि समवशरण मण्डप में भगवान् से प्रभावित होने के पश्चात् इन्द्रभूति भगवान् का प्रथम गणघर बना । राजा श्रेणिक को उसी ने बताया कि भगवान् मोक्ष कब प्राप्त करेंगे।५. 'वीरोदय' में यह बात इन्द्रभूति से नहीं कहलवाई है, और न ही भगवान् के अग्रिम कार्यक्रम के रूप में उसका उल्लेख है। कवि ने क्रमशः घटित होने वाली घटनामों के रूप में इनको प्रस्तुत किया है।
(न) 'महापुराण' में स्थान-स्थान पर भगवान् के उपदेश का उल्लेख मात्र है, किन्तु 'वीरोदय' में भगवान् के उपदेशों का विस्तार से वर्णन है । मूलकथा में परिवर्धन
(क) 'महापुराण' में भगवान् का अभिषेक कराने के लिए इन्द्रादि देवगणों के साथ इन्द्राणी के आने का वर्णन नहीं मिलता। किन्तु 'वीरोदय' में प्रसूतिकक्ष से भगवान् को बाहर लाने का, अभिषेक के पश्चात् वस्त्राभूषण धारण कराने का कार्य इन्द्राणी द्वारा ही वरिणत है।
१. महापुराण (उत्तरपुराण), ७५॥३१८.३३० २. वही, ७३।३३१-३३७ ३ वही, ७४।३३८-३४७ ४. वही, ७४।३४८-३५५ ५. वही, ७४।३७१, ७६१५१२ ६. वीरोदय, १४।१, २११२१ ७. महापुराण (उत्तरपुराण), ७४१३५६, ३६६-३७०, ३०४ ८. वीरोदय, १४।२४।४३, १६।२-३० तथा १७।१६ सर्ग । ६. वही, ७.१३, ३५, ३६