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________________ महाकवि मानसागर के संस्कृत-काव्य-प्रन्यों के स्रोत साथ भगवान् ऋषभदेव से दीक्षा ग्रहण करके केवल ज्ञान प्राप्त कर लिया।' पर 'जयोदय' में राजा के वैराग्यमात्र ग्रहण करने का वर्णन मिलता है। (क) 'महापुराण' में वर्णन मिलता है कि जयकुमार ने अपने महल की छत पर एक कृत्रिम हापी में बैठे हुए विद्याधर-दम्पती को देखा । पर 'अयोग्य' में कृत्रिम हाथी का नहीं, बरन पाकाश-विमान का वर्णन है।' (ब) 'महापगण' में जयकुमार और सुलोचना के पूर्वजन्मों का वर्णन बड़े विस्तार मे किया गया है। वहां इन दोनों के प्रत्येक जन्म के सम्बन्धियों के जन्मों से सम्बन्धित अवान्तर कथामों का भी विस्तृत वर्णन है, पर 'अयोग्य' में पूर्वजन्मों का वर्णन संक्षेप में ही किया गया है। (भ) 'महापुराण' में सुलोचना एवं जयकुमार के हर जन्म के सम्बन्धियों से सम्बन्धित कथाएं विस्तृत होने के साथ ही प्रत्यधिक जटिल भी हैं, जिससे पाठक को मूलकपा को समझने में काफी असुविधा होती है। इसमें लोकपाल के पुत्र श्रीपाल का वृत्तान्त भी विस्तार से वरिणत है।' 'जयोदय' में जयकुमार पोर सुलोचना के पूर्वजन्म के सम्बन्धियों से सम्बन्धित प्रवान्तर कथामों से मूलकथा को नहीं उलझाया गया है; और श्रीपाल की कथा का भी जयोदय में प्रभाव है। (म) 'महापुराण' में वर्णन मिलता है कि स्वर्ग में उत्पन्न होने के बाद पूर्वजन्म को कथाएं सुनने सुनाने के बाद सुलोचना मोर जयकुमार ने गुणपाल तीर्थकर की वन्दना की। किन्तु 'जयोदय' में यह वर्णन नहीं मिलता। (य) 'महापुराण' में वर्णन है कि ऋषभदेव की वन्दना के पश्चात् उनके उपदेश से प्रभावित होकर जयकुमार ने शिवंकरा महादेवी के पुत्र अनन्तवीर्य का राज्याभिषेक कर दिया और अपने छोटे भाई विजय, संजयन्त एवं रविकीर्ति, रविजय, मरिंदम, परिजय इत्यादि चक्रवर्ती के पुत्रों के साथ दीक्षा धारण कर ली। किन्तु 'जयोदय' में इस सन्दर्भ में जयकुमार के अतिरिक्त अन्य किसी की चर्चा नहीं की गई है। १. महापुराण (मादिपुराण, भाग-२), ४५।१८६-२०६ २. अयोदय, २०६७ ३. महापुराण (माधिपुराण, भाग-२), ४६।१ ४. जयोदय, २३।१० ५. महापुराण (मादिपुराण, भाग-२), ४६।१६-३६६ ६. जयोदय, २३।४५-६७. ७. महापुराण (मादिपुराण, भाग-२), ४७।१-२५० ८. वही, ४७।२५१-२५२ ९. वही, ४७।२७४-२७९ १०. जयोदय, २६६८-१०७
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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