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________________ महाकविमानसागर के काम्य-एक अध्ययन इच्छा उसका विवाह करने की होती है ।' किन्तु जयोदय' में इस घटना का कोई उल्लेख नहीं है। (ण) 'महापुराण में वर्णन है कि विवाह के बाद अपने मंत्री के पत्र पाने पर जयकुमार हस्तिनापुर लौटने को तैयारी करते है। परन्तु 'बयोदय' में इस बात का उल्लेख नहीं है। (त) महापुगण' में गंगा नदी के तट पर जयकुमार द्वारा रात्रि-विहार, बनकोड़ा इत्यादि के किये जाने का वर्णन नहीं मिलता। किन्तु 'जयोदय' में इन सब बातों का विस्तृत वर्णन है। (य) 'महापुराण' में वर्णन मिलता है कि हेमांगद इत्यादि को गंगा नदी के किनारे छोड़कर जयकुमार जब सम्राट् भरत से मिलने गए तो प्रकीर्ति इत्यादि ने उसका स्वागत किया। किन्तु जयोदय' में जयकुमार का प्रकोर्ति इत्यादि से स्वागत पाने का वर्णन नहीं है। (२) 'महापुराण' में वर्णित है कि जब जयकुमार सम्राट् भरत से विदा लेकर गंगा नदी के किनारे पहुंचा, तब एक सूखे वृक्ष की डाली के प्रप्रभाग पर स्थित सूर्याभिमुख एक कौए को रोता हुमा देखकर वह सुलोचना के अनिष्ट की माशंका से मूच्छित हो गया पोर पुरोहित के वचनों से प्राश्वस्त होकर उसने मागे चलना प्रारम्भ किया। किन्तु 'जयोदय' में इस घटना का उल्लेख नहीं है। (ब) 'महापुराण' में वर्णन मिलता है कि काली देवी ने जयकुमार के हाथी को सरयू और गंगा के संगन पर पकड़ा। किन्तु 'जयोदय' में सरयू मोर गंगा के संगम का उल्लेख नहीं है। (प) 'महापुराण' में उक्त घटना के पश्चात् जयकुमार के सीधे हस्तिनापुर पहुंचने का वर्णन है, जबकि 'जयोदय' में जयकुमार भीलों और ग्वालों की बस्तियों में होता हुमा हस्तिनापुर पहुंचा है। (न) 'महापुराण' में उल्लिखित है कि पुत्री के सुख-समाचार को जानकर राजा प्रकम्पन ने हेमांगद का राज्याभिषेक कर दिया मोर सुप्रभा एवं अनेक राजामों के १. महापुराण (प्रादिपुराण, भाग-२), ४३।१८० २. बही, ४५६७-६८ ३. जयोदय, १३॥५२-११६, चतुर्दश से सप्तदश सर्ग तक । ४. महापुराण (मादिपुराण, भाग-२), ४५।११४-११५ ५. वही, ४५।१३६-१४१ ६. वही, ४५।१४४ ७. वही, ४५॥१७०-१७७ ८. बयोदय, २०११-७८
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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