________________
महाकवि ज्ञानसागर के संस्कृत काव्य-ग्रन्थों के स्रोत
उल्लेख मिलता है । यहीं पर उनकी पत्नी सुप्रभा, एक हजार पुत्र और सुलोचना एवं प्रक्षमाला नाम की दो पुत्रियों का भी वर्णन है ।' किन्तु 'जयोदय' महाकाव्य में राजा अकम्पन का दूत जब सुलोचना-स्वयंवर का समाचार लेकर प्राता है, तब हमें काशीनरेश की पत्नी और उनकी पुत्री सुलोचना का नाम सहित परिचय ज्ञात हो पाता है किन्तु काशीनरेश का नाम एवं उनके एक हजार पुत्र एवं प्रक्षमाला नाम की पुत्री का परिचय तो हमें बाद में ही ज्ञात होता है । 3
(ब) 'महापुराण' में सभी राजाओंों को दूतों द्वारा सामान्य रूप से बुलवाया गया है ४, जबकि 'जयोदय' में दूत ने विशेष प्राग्रह से जयकुमार को ही निमन्त्रण दिया है। अन्य राजानों को बुलवाने का केवल उल्लेख मात्र ही किया है । "
(ट) 'महापुराण' में महेन्द्रदत्त कंचुकी ने ही सुलोचना को राजाओं से परिचित कराया। इसमें किस-किस देश के राजा हैं, ऐसा उल्लेख नहीं मिलता । किन्तु 'जयोदय' में विद्यादेवी ने सुलोचना के सम्मुख प्रयोध्या, कलिंग इत्यादि देशों के राजानों का विस्तृत परिचय दिया है ।
(ठ) 'महापुराण' में उल्लेख मिलता है कि अर्ककीर्ति प्रौर जयकुमार के युद्ध के पश्चात् सभी ने नित्य मनोहर नामक चैत्यालय में पहुँचकर जिनेन्द्रदेव की स्तुति की, 'जयोदय में यह वर्णन तो है कि युद्ध के पश्चात् सबने जिनेन्द्रदेव की पूजा की 'किन्तु किसी मन्दिर का उल्लेख नहीं है ।
है ।
०
'महापुराण' में सुलोचना के रूप-सौन्दर्य एवं
१
किन्तु 'जयोदय' में इन वातों का विस्तृत वर्णन किया गया है ।'
विवाह का संक्षेप में ही उल्लेख
७१
(ढ) 'महापुराण' में जिनेन्द्रदेव की पूजा के बाद शेषाक्षत देने के लिए सुलोचना जब अपने पिता के पास माती है, तब पुत्री को पूर्णयुवती देखकर राजा अकम्पन की
१. महापुराण ( प्रादिपुराण भाग-२) ४३।१२७-३५
२. जयोदय, ३।३३-३७
३. बही, ५८, ७१८६
४. महापुराण ( प्रादिपुराण भाग-२), ४३।२०२-२०३ ५. जयोदय, ३।२६-६३, ४१
६. महापुराण (आदिपुराण भाग-२), ४३ | ३०१-३०८ ७. जयोदय ६।६-११
८. महापुराण (प्रादिपुराण भाग-२), ४४ । ३५६
६. जयोदय, ८८६ एवं उसके बाद का गीत । १०. महापुराण (प्रादिपुराण भाग-२) ४३-१३७-३३७ ११. जयोदय, ३।३०-११६, चतुर्थ सर्ग से द्वादश सगं तक ।