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________________ अपभ्रंश-खंडकाव्य (धार्मिक) १६५ जहिं जहिं मलयालिणिलु परिधावइ, तहि तहिं मयणाणलु उद्दीवइ । अइ मुत्तउ जहिं वियसइ सुद्धउ, छप्पउ किण्ण होइ रस लुद्धउ । जो मंदारएण णिरु कुप्पइ, सो किं अप्पउ कुरए समप्पइ । सामल कोमल सरस सुणिम्मल, कयली वज्जेवि केयइ णिप्फल । सेवइ फर सु विछप्पउ भुल्लउ, जं जसु रुच्चइ तं तसु भल्लउ । मह महंतु विरहिणि मणदमणउं, कासु ण इठ्ठ पप्फुल्लिय दवणउं । जिण हरेसु आढविय सुचच्चरि, करहिं तरुणि सवियारी चच्चरि । कत्थइ गिज्जइ वर हिंदोलउ, जो कामीयण मण हिंदोलउ । अहिसारिहिं संकेयहो गम्मइं, गयवईहि गंडयलुणिहम्मइं। पियविरहें “पहियहंडोल्लिज्जई, अहवा महुमासें भुल्लिज्जइ ॥ सु. च. ७. ५. निम्नलिखित प्रभात वर्णन में कवि ने प्रत्यूष-मातंग द्वारा संसार सरोवर से नक्षत्र रूप कुमुद और कुमुदिनियों के नाश और शशि रूप हंस के पलायन का दृश्य प्रस्तुत किया है। सूर्य को केसरी और गाढ़ान्धकार को गज बताते हुए एवं सूर्य को दिग्वधू का लीला कमल, गगनाशोक का कुसुम गुच्छक, दिनश्री का विद्रुम लता का कंद और नभश्री का सुन्दर कस्तूरी बिन्दु--निर्देश करते हुए कवि ने प्राचीन परम्परा का ही निर्वाह किया है। तो जग सरवरम्मि णिसि कुमइणि, उड्डु पफुल्ल कुमुय उभासिणि । उम्मूलिय पच्चूस मयंगे, गमु सहिउ ससि हंस विहंगें। वहल तमंधयार वारण-अरि, दोसइ उयय सिहरे रवि केसरि । पुव्व दिसावय अरुण छवि, लीला कमलु व उब्भासइ रवि । सोहम्माइ कप्पफल जोयहो, कोसुम गुंछु व गयणा सोयहो। दिण सिरि विद्दुम विल्लिहे कंडुव, णहसिरि घुसिण ललाम य विदुव । निम्नलिखित सूर्यास्त वर्णन में कवि ने सूर्य के अस्त हो जाने के कारण की सुन्दर कल्पना की है--वारुणी, सुरा में अनुरक्त कौन उठकर भी नष्ट नहीं होता ? अतएव सूर्य भी वारुणी-पश्चिम दिशा के अनुराग से उदित होकर अस्त हो गया। दुवई बहु पहरेहिं सूरु अत्यमियउ, अहवा काइं सीसए। जो वारुणिहे रत्तु सो उग्गुवि, कवणु ण कवणु णासए ॥ णह मरगय भायणे वर वंदण, संझा राउ घुसिणु ससि चंदणु । ससि मिगु कत्यूरी णिरु सामल, वियसिय गह कुवलयउडु तंडुल। लेवि णु मंगल करण गुराइय, णिसि तट्टि तहि समए पराइय । सु. च. ५.८ कवि केशवदास ने भी अपनी रामचन्द्रिका में एक स्थान पर यही भाव अभिव्यक्त
SR No.006235
Book TitleApbhramsa Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarivansh Kochad
PublisherBhartiya Sahitya Mandir
Publication Year
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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