SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 164
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४६ अपभ्रंश-साहित्य ता परवइणो हरिसं जणियं उत्तम सावयवइणा भणियं । अंधे गळं बहिरे गीयं ऊसर छेते बवियं बीयं । संढे लग्गं तरुणि कडक्खं लवण विहीणं विविहं भक्खं । अण्णाणे तिव्वं तवचरणं बल सामत्थ विहीणे सरणं। असमाहिल्ले सल्लेहणयं गिद्धणमणुए वजोव्वणयं । मिब्भोइल्ले संचियदविणं पिण्णेहे वर माणिणि रमणं । अवि य अपत्ते दिण्णं दाणं मोहरयंधे धम्मक्खाणं। पिसुणे भसणे गुण पडिवण्णं रणे रणं वियलइ सुण्णं । घता-जो जिण पडिकूलहो मत्थइ सूलहो गुरु परमागमु भासइ। सो वयणई सुद्धई गं घय दुद्धई सप्पहो ढोइवि गासइ ।' (१. १९. १.१०) थोड़े से वाक्यों में भाव को गंभीरता से अभिव्यक्त करने का ढंग ग्रंथ में स्थान स्थान पर दिखाई देता है । कुमागंगामिनी स्त्री का मन कुमार्ग से मोड़ना कितना दुष्कर है, कवि कहता हैघता-करि बज्झइ हरि रुज्झइ संगरि पर बल जिप्पड़ । कुकलत्तहि अण्णासत्तहि चित्तु ण केण वि घिप्पइ॥ (२. १२. २१-२२) अर्थात् हाथी बाँधा जा सकता है, सिंह रोका जा सकता है, युद्ध में शत्रु सेना जीती जा सकती है किन्तु अन्यासक्त दुश्चरित्रा स्त्री का मन नहीं काबू किया जा सकता। कवि शब्दों द्वारा घटना चित्र उपस्थित करने में भी नहीं चूकता। शोकातिरेक का एक चित्र देखिये-- णिसुणिवि दुह भरियई महु भवचरियइं जसवइ भिवहियउं चलिउ । सोयरसु पधाइउ अंगि ण माइउ गयणंसुय धारहिं गलिउ ॥ (४. १. १-२) भाषा में अनुप्रास, यमक, श्लेष, रूपक उत्प्रेक्षादि अलंकारों का भी कवि ने प्रयोग किया है । रूपकानुप्राणित उत्प्रेक्षा का एक उदाहरण देखियेघता-विजुलियए कंचुलियए भूसियदेहए सुरघणु । घणमालए गं बालए किउ विचित्तु उप्परियणु ॥ .. (२. ३२. १०.) विद्युत् रूपी कंचुकी से भूषित देहवाली घनमाला रूपी बाला ने मानो सुरधनु रूपी उपरितन वस्त्र धारण किया हो। भाषा की दृष्टि से अनेक शब्द रूप ऐसे हैं जो हिन्दी के शब्दों से मिलते जुलते १. णटुं--नाट्य । सल्लेहणयं-तप विशेष । मिन्मोइल्ले--भोग रहित । भसणे --मनसा दुष्ट इति टिप्पणम् ।
SR No.006235
Book TitleApbhramsa Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarivansh Kochad
PublisherBhartiya Sahitya Mandir
Publication Year
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy