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________________ १३२ अपभ्रंश-साहित्य सम्बन्ध में श्री पंचमी व्रत का माहात्म्य वर्णन करते हैं। पूर्व जन्म में नागकुमार इसी व्रत का पालन करते हुए मर गये । परिणामस्वरूप देवत्व को प्राप्त हो गये । किन्तु शोकातुर माता पिता को सान्त्वना देने के लिए फिर पृथ्वी पर आये। तब से वह भी धर्म में रत हो गये और परिणामतः उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया । लक्ष्मीमती उनकी पूर्व जन्म की स्त्री थी। मुनि इसके बाद व्रत पालन के प्रकार का वर्णन करते हैं। इसी प्रसंग में जयंधर मन्त्री घर से आता है और नागकुमार अपने घर लौटते हैं। वहां पिता उनका आदर सन्मान करता है। अनेक वर्षों तक अपनी अगणित स्त्रियों के साथ आनन्द से जीवन बिताते हुए और राज्य भोगते हुए अन्त में तपस्वी हो जाते हैं और पुनः मोक्ष प्राप्त करते हैं। कयानक में चित्रदर्शन से प्रेमोत्पत्ति का निर्देश कवि ने किया है। नायक के अनेक राजकुमारियों से साथ विवाह का वर्णन, उस धार्मिक वातावरण के अनुकूल नहीं जिसका चित्र कवि उपस्थित करना चाहता है। नागकुमार के कुएँ में गिर जाने पर उसके माता पिता के हृदा में जिस शोक की गुरुता अपेक्षित थी उसका अभाव है । नागकुमार के कश्मीर में जाने पर नागकुमार को देखकर पुरवधुओं की मानसिक घबराहट की अवस्था का कवि ने सुन्दर वर्णन किया है किन्तु कश्मीर की शोभा के वर्णन का अभाव ही है। कवि की बहुज्ञता--कवि के पांडित्य और बहुज्ञत्व का पर्याप्त आभास इसके महा पुराण से ही मिल चुका है । इम काव्य में भी अनेक निर्देशों से कवि के बहुज्ञत्व का ज्ञान होता है ।' ९वीं संधि में कवि ने अनेक दार्शनिक और धार्मिक विचारों से अपना परिचय प्रकट किया है । अनेक हिन्दू और बौद्ध धर्मों के सिद्धान्तों एवं तथ्यों का निर्देश और आलोचन कवि ने किया है। कवि ने (९. ५-११ में) सांख्य, मीमांसा, क्षणिकवाद, शून्यवाद आदि भारतीय धर्म के भिन्न-भिन्न दर्शनों और उनमें से कुछ के प्रवर्तकोंकपिल, अक्षपाद, कणचर और सुगत--का निर्देश किया है । ९. ११ में बृहस्पति के नास्तिकवाद का निर्देश किया है । काव्यगत सौन्दर्य एवं अलंकारों के लिए पुराणों में से अनेक पौराणिक प्रसंगों का सहारा लिया है । शिव द्वारा कामदाह (८. ६. २), ब्रह्मा के सिर का काटना (९. ७. ५), वराहावतार में विष्णु द्वारा पृथ्वी का उद्धार (१.४.८), देवताओं द्वारा समुद्र मन्थन (१. ४. १०), शेषनाग के सिर पर पृथ्वी की स्थिति (७. १. ६) आदि पौराणिक उपाख्यानों का कवि को ज्ञान था। रामायण और महाभारत के पात्रों और कथा प्रसंगों का भी इतस्तत: निर्देश मिलता है । हनूमान्, गांगेय, युधिष्ठिर, और कर्ण का (१. ४), कुरुबल (४. १०. १७) और पंच पांडवों (८. १५. १) का भी निर्देश मिलता है । लक्ष्मण द्वारा रावण की मृत्यु का निर्देश (३. १४. ५) जैन धर्मानुकूल राम कथा के अनुसार है। कवि ने तीन बुद्धियों, तीन शक्तियों, पंचांग मन्त्र, अरि षड्वर्ग, सात राज्यांगों १. देखिये नागकुमार चरिउ की भूमिका।
SR No.006235
Book TitleApbhramsa Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarivansh Kochad
PublisherBhartiya Sahitya Mandir
Publication Year
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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