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मोक्षमाळा-पुस्तक बीजं. जे नववाड विशुद्धथी, धरे शियळ सुखदाइ; भव तेनो लव पछि रहे, तत्ववचन ए भाइ. सुंदर शीयळसुरतरु, मन वाणी ने देह; जे नरनारी सेवशे, अनुपम फळ ले तेह. पात्र विना वस्तु न रहे, पात्रे आत्मिक ज्ञान; पात्र थवा सेवो सदा, ब्रह्मचर्य मतिमान.
शिक्षापाठ ३५ नमस्कारमंत्र.
नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं; नमो आयरियाणं, नमो उवझ्झायाणं;
_ नमो लोए सव्वसाहुणं. आ पवित्र वाक्योने निग्रंथप्रवचनमां नवकार (नमस्कार ) मंत्र के पंचपरमेष्टिमंत्र कहे छे, __अहंत भगवंतना बार गुण, सिद्ध भगवंतना आठ गुण, आचायना छत्रीश गुण, उपाध्याय ना पंचवीश गुण, अने साधुना सत्तावीश गुण मळीने एकसो आउ गुण थया. अंगुठा विना बाकीनी चार आंगळीओनां बार टेरवां थाय छे, अने एथी ए गुणोनुं चिंतवन करवानी योजना होवार्थी बारने नवे गुणतां १०८ थाय छे. एटले नवकार एम कहेवामां साथे एवं सूचवन रहुं जणाय छे के हे भव्य ! तारां ए आंगळीनां टेरवांथी ( नवकार ) मंत्र नववार गण.-कार एटले करनार एम पण थाय छे. बारने नवे गुणतां जेटला थाय एटला गुणनो परेलो मंत्र एम नवकार मंत्र तरीके एनो अर्थ थइ शके छे. पंचपरमेष्टि एटले आ सकळ जगत्मां पांच वस्तुओ परमोत्कृष्ट छे ते ते कयी कयी ?-तो कही बतावी के अरि