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________________ तत्व समजवू. ३७ छे, पापनो पिता छे, अन्य एकादशवनने महा दोष दे एवो एनो स्वभाव छे. ए माटे थइने आत्महितौषिए जेम बने तेम तेनो त्याग करी मर्यादापूर्वक वर्त्तन करवं. शिक्षापाठ २६ तत्व समजवू. शास्त्रोनां शास्त्रो मुखपाठे होय एदा पुरुषो घणा मळी शके, परंतु जेणे थोडां वचनोपर प्रौढ अने विवेकपूर्वक विचार करी शास्त्र जेटलं ज्ञान हृदयगत कयु होय तेवा मळवा दुर्लभ छे. तत्वने पहोंची जवु ए कंइ नानी वात नथी. कूदीने दरियो ओळंगी जवो छे. ___अर्थ एटले लक्ष्मी, अर्थ एटले तत्व अने अर्थ एटले शब्दनुं बीजूं नाम. आवा अर्थशब्दना घणा अर्थ थाय छे. पण अर्थ एटले तत्व ए विषयपर अहीं आगळ कहेवानुं छे. जेओ निग्रंथप्रवचनमा आवेलां पवित्र वचनो मुखपाठे करे छे ते नेओना उत्साहवळे सत्फळ उपार्जन करे छे; परंतु जो तेनो मर्म पाम्यो होय तो एथी ए सुख आनंद, विवेक अने परिणामे महद् भूतफळ पामे छे. अभणपुरुष सुंदर अक्षर अने नाणेला मिथ्या लीटा ए बेना भेदने जेटलं जाणे छे तेटलुंज मुखपाठी अन्य ग्रंथ विचार अने निग्रंथप्रवचनने भेदरुप माने छे. कारण तेणे अर्थ पूर्वक निग्रंथ वचनामृतो धार्या नथी; तेम ते पर यथार्थ तत्वविचार कर्यों नथी. जो के तत्वविचार करवामां समर्थ बुद्धिप्रभाव जोइए छीए, तोपण कंइ विचार करी शके पथ्थर पीगले नहि तोपण पाणीथी पलळे तेमज जे वचनामृतो मुखपाठे कर्या होय, ते अर्थ सहित होय तो बहु उपयोगी थई पडे; नहि तो पोपटवाळु राम नाम. पोपटने कोई परिचये रामनाम कहता शीखडावे; परंतु पोपटनी बला जाणे के राम ते दाडम के द्राक्ष. सामान्यार्थ समज्या बगर एबुं थाय छे. कच्छी वैश्योनुं द्रष्टांत एक
SR No.006234
Book TitleBalavbodh Mokshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Ravjibhai Mehta
PublisherMansukhlal Ravjibhai Mehta
Publication Year1915
Total Pages188
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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