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जिनेश्वरनी भक्ति भाग २०
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सत्य - हा, अवश्य छे. अनंत सिद्धस्वरुपने ध्यातां जे शुद्ध स्वरुपना विचार थाय ते तो कार्य परंतु ए जे जेवडे ते स्वरुपने पाम्या ते कारण कयुं ? ए विचारतां उग्रतप, महान वैराग्य, अनंतदया, महानध्यान ए सघळांनुं स्मरण थशे; एओनां अर्हत तीर्थंकर पदमां जे नामथी तेओ विहार करता हता ते नामथी तेओना पवित्र आचार अने पवित्र चरित्रो अंतःकरणमां उदय पामशे; जे उदय परिणामे महा लाभदायक छे. जेम महावीरनुं पवित्र नाम स्मरण करवाथी तेओ कोण ? क्यारे ? केवा प्रकारे सिद्धि पाम्या ? ए आदि चरित्रोनी स्मृति को अने एथी आपणे वैराग्य, विवेक इत्यादिकनो उदय पामीन
जिज्ञासु - पण लोगस्समां तो चोवीश जिनेश्वरनां नाम सूचवन कर्या छे ? एनो हेतु शु छे ते मने समजावो.
सत्य- आ काळमां आ क्षेत्रमां ने चोवीश जिनेश्वरो थया एमनां नामनुं अने चरित्रोनुं स्मरण करवाथी शुद्ध तत्वनो लाभ थाय. वैरागिनुं चरित्र वैराग्य बोधे छे, अनंत चोवीशीनां अनंत नाम सिद्ध स्वरुपमां समग्रे आवी जाय ले. वर्त्तमानकाळना चोवीश तीर्थकरनां नाम आ काळे लेवाथी काळनी स्थितिनुं बहु सूक्ष्मज्ञान पण सांभरी आवे छे. जेम एओनां नाम आ काळमां लेवाय छे. तेम चोवीशी चोवीशीनां नाम काळ अने चोवीशी फरतां लेवातां जाय छे. एटले अमुक नाम लेवां एम कंइ हेतु नथी. परंतु तेओना गुण अने पुरुषार्थ स्मृति माटे वर्त्तती चोवीशीनी स्मृति करवी एम तत्व रधुं छे. तेओना जन्म, बिहार उपदेश ए सघळं नाम निक्षेपे जाणी शकाय छे. ए वडे आपणो आत्मा प्रकाश पामे छे. सर्प जेम मोरलीना नादथी जागृत थाय छे; तेम आत्मा पोतानी सत्य रीद्धि सांभळतां ते मोहनिद्राथी जागृत थाय छे.
जिज्ञासु - मने तमे जिनेश्वरनी भक्ति संबंधी बहु उत्तम कारण