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अनाथी मुनि भाग १.
छे; त्यारे शुं एने महा मनुष्य कहेवो ? ना, नहीं मानवपणुं समजे तेज मानव कहेवाय.
ज्ञानीओ कहे छे के एभव बहु दुर्लभ छे; अति पुण्यना प्रभावथी ए देह सांपडे छे; माटे एथी उतावळे आत्मसार्थक करी लेवु. अयमंतकुमार, गजसुकुमार जेवां नानां बाळको पण मानवपणाने समजवाथी मोक्षने पाम्यां मनुष्यमां जे शक्ति वधारे छे, ते शक्तिas करीने मदोन्मत्त हाथी जेवा प्राणीने पण वश करी ले छे; एज शक्तिवडे जो तेओ पोताना मनरुपी हाथीने वश करी ले तो केटलं कल्याण थाय !
कोइ पण अन्य देहमां पूर्ण सदविवेकनो उदय थतो नथी अने मोक्षना राजमार्गमां प्रवेश थइ शकतो नथी. एथी आपणने मळेलो आ बहु दुर्लभ मानवदेह सफळ करी लेवो अवश्यनो छे. केटलाक मूर्खो दुराचारमां, अज्ञानमां, विषयमां, अने अनेक प्रकारना मदमां आवो मानवदेह वृथा गुमावे छे. अमूल्य कौस्तुभ हारी बेसे छे. ए नामना मानव गणाय, बाकी तो वानररुपज छे.
मोतनी पळ निश्चय आपणे जाणी शकता नथी, माटे जेम बने तेम धर्ममां त्वराथी सावधान थवुं.
शिक्षापाठ ५ अनाथी मुनि भाग १.
अनेक प्रकारनी रीद्धिवाळो मगधदेशनो श्रेणिक नामे राजा अश्वक्रिडाने माटे मंडिकूक्ष नामना वनमां नीकळी पड्यो, वननी विचित्रता मनोहारिणी हती. नाना प्रकारनां वृक्षो त्यां आवी रह्यां हतां नाना प्रकारनी कोमळ वेलीओ घटाटोप थइ रही हती; नाना प्रकारनां पंखीओ आनंदथी तेनुं सेवन करतां हतां; नाना प्रका