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________________ मोक्षमाळा-पुस्तक बीजं. शिक्षापाठ ४६ कपिलमुनि भाग १. कौसांबी नामनी एक नगरी हती, त्यांना राजदरबारमा राज्यनां आभूषणरुप काश्यप नामनो एक शास्त्री रहेको हतो. एनी स्त्रीचें नाम श्रीदेवी हतुं, तेना उदरथी कपिल नामनो एक पुत्र जन्म्यो हतो. ते पंदर वर्षनो यो त्यारे तेना पिता परधाम गया. कपिल लाडपाडमां उछरेलो वाथी कंइ विशेष विद्वता पाम्यो नहोतो, तेथी एना पितानी जनो कोइ बीजा विद्वानने मळी. काश्यपशास्त्री जे पुंजी कमाइ गया ह ना ते कमावामां अशक्त एवा कपिले खाइने पुरी करी. श्रीदेवी एक दिवस घरना बारणामां उभी हती त्यांबे चार नोकरो सहित प ताना पतिनी शास्त्रीयपदी पामेलो विद्वान जतो तेना जोवामां आ यो. घणा मानथी जता आ शास्त्रीने जोइने श्रीदेवीने पोतानी पूर्व स्थतिनुं स्मरण थइ आव्युं. ज्यारे मारा पति आ पद्वीपर हता त्य रे हुं केवं सुख भोगवती हती ? ए मारुं सुख तो गयुं परंतु मागे पुत्र पण पुरुं भण्यो नहि. एम विचारमा डोलतां डोलतां तेर्न आंखमाथी दड दड आंसु खरवा मंड्यां. एवामां फरतो फरतो व पिल त्यां आवी पहोंच्यो. श्रीदेवीने रडती जोइ तेनुं कारण पूछयुः कपिलना बहु आग्रहथी श्रीदेवीए जे हतुं ते कही बताव्युं. पछी कपिल बोल्योः जो मा ! हुं बुद्धिशाळी छु, परंतु मारी बुद्धिनो उपयोग जेवो जोइए तेवो थइ शक्यो नथी. एटले विद्या वगर हुँ ए पद्वी पाम्यो नहि. तुं कहे त्यां जइने हवे हुं माराथी वनती विद्या माध्य करूं. श्रीदेवीए खेद साथे काः ए ताराथी बनी शके नहि, नहि तो आर्यावर्तनी मर्यादापर आवेली सावस्थी नगरीमां इंद्र त्त नामनो तारा पितानो मित्र रहे छे, त अनक विद्यार्थियोने विद्यादान आपे छे; जो ताराथी त्यां
SR No.006234
Book TitleBalavbodh Mokshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Ravjibhai Mehta
PublisherMansukhlal Ravjibhai Mehta
Publication Year1915
Total Pages188
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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