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(19) सत्तमी य पवंचा उजं नरो दसमस्सिओ। निट्ठभइ चिकणं खेलं खासई यखणे खणे 7॥
.. (तंदुलवैचारिक, गाथा-52) (20) संकुइयवलीचम्मो संपत्तो अट्टमिं दसं। नारीणं च अणिट्ठो उ जराए परिणामिओ 8 ।।
(तंदुलवैचारिक, गाथा-53) (21) नवमी मुम्मुही नामंजं नरो दसमस्सिओ। जराधरे विणस्संते जीवो वसइ अकामओ 9॥
(तंदुलवैचारिक, गाथा-54) (22) हीण-भिन्नसरो दीणो विवरीओ विचित्तओ। दुब्बलो दुक्खिओ सुयइ संपत्तो दसमिं दसं 10॥
(तंदुलवैचारिक, गाथा-55)
(23) पुण्णाई खलु आउसो ! किच्चाई करणिज्जाइं पीइंकराई वनकराई धणकराई किंत्तिंकराई। नो य खलु आउसो ! एवं चिंतेयव्वं - एसिति खलु बहवे समया आवलिया खणा आणापाणू थोवा लवा मुहुत्ता दिवसा अहोरत्ता पक्खा मासा रिऊ अयणासंवच्छराजुगावाससयावाससहस्सावाससयसहस्सा, वासकोडीओ......
(तंदुलवैचारिक, सूत्र-64) (24) ते णं मणुया अणतिवरसोम-चारुरूवा भोगत्तमा भोगलक्खणधरा सुजायसव्वंगसुंदरगां रत्तुप्पल-पउमकर-चरणकोमलंगुलितना नग-णगर-मगरसागरचक्कंधरंकलक्खणंकियतला सुपइट्ठियकुम्मचारुचलणा अणु- पुव्विसुजायपीवरंगुलिया उन्नय-तणु-तंब-निद्धनहा संठिय-सुसिलिट्ठ-गूढ-गोप्फा एणीकुरुविंदावत्तवट्टाणुपुग्विजंघा सामुग्गनिमग्गगूढजाणू गयससण सुजायसन्निभोरु वरवारणमत्ततुल्लविक्कम-विलासियगई सुजायवरतुरयगुज्झदेसा आइनहउ व्व निरुवलेवा पमुइयवरतुरग-सीहअरेगवट्टियकडी साहयसोणंद-मुसलदप्पणनिगरियवरकणच्छतरुण-बोहिय' उक्कोसायंतपउमगंभीर -वियडनाभी उज्जुय