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________________ 19. सत्तमिंचदसंपत्तोआणुपुव्वीइजो नरो। निठुहइ चिक्कणंखेलंखाइस यअभिक्खणं॥ _-(ठाणं - पृ. 1015) 20. संकुचियवलीचम्मोसंपत्तोअट्टमिंदसं। __णारीणमणभिप्पेओ जराएपरिणामिओ॥ (ठाणं-पृ. 1015) 21. णवमी मम्मुहीनामजनरोदसमस्सिओ। जराघरे विणस्संतोजीवोवसइअकामओ॥ (ठाणं-पृ. 1015) 22. हीणभिन्नसरो दीणो विवरीओ विचित्तओ। दुब्बलोदुक्खिओसुवइसंपत्तो दसर्मि दसं॥ (ठाणं-पृ. 1015) (दशवै हारिभद्रीय वृत्ति 8,9) 23. असंखिज्जाणं समयाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा आवलि अतिवुच्चइ संखेज्जाओ आवलियाओ ऊसासो, संखिज्जाओ आवलियाओ नीसासो हट्ठस्स अणवगल्लस्स, निरुवक्किट्ठस्स जंतुणो। एगे ऊसासनीसासे एस पाणु त्तिं वुच्चइ। सत्तपाणूणि से थोवे ......... लवे ...... मुहत्ते ...... अहोरतं ...... पक्खा ....... मासा ....... उऊ ........ अयणं ....... संवच्छरे .......... जुगे ........ वाससयं.......... वाससहस्सं ....... वाससयसहस्सं ......। (अनुयोगद्वार - भाग 2 घासी., पृ. 248) अथवा पुव्वाणुपुव्वी समए आवलिया आणापाणू थोवे लवे मुहुत्ते दिवसे अहोरत्ते पक्खे मासे उदू अयणे संवच्छरे जुगे वाससए वाससहस्से वाससतसहस्से। a (अनुयोगद्वार-मधु. पृ. 127) 24. णरगणा भोगुत्तमा भोगलक्खणधरा ...... सुजायसव्वंगसुंदरंगा रत्तुप्पलपत्तकंतकर चरणकोमलतला सुपइट्ठियकुम्मचारुचलणा अणुपुव्व
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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