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________________ देविन्दत्थय (देवेन्द्र स्तव ) किन्नर 9 किंपुरिसे 10 खलु सप्पुरिसे 11 चेव तह महापुरिसे 12 13 अइकाय 13 महाकाए 1417 गीयरई 15 चेव गीयजसे सन 1 सामाणे 21 धाय 3 विधाए 4 1 2 इसी 5 य इसिवाले 6 । 3 । इस्सर 7 महिस्सरे या 8 । 4 हवइ सुवच्छे 9 16|8||70|| विसाले य 10|5|71॥ हासे 11 हासरई विय 1216 सेएय 13 तहा भवे महासेए 14। 7। पयए 15 पययवई वि य 16 17 नेयव्वा आणुपुव्वीए ॥72॥ चंदा 1 सूरा 2 तारागणा 3 य नक्खत्त 4 गहगण समग्गा 51 पंचविहा जोइसिया, ठिई वियारी यते भणिया ॥81॥ अद्धकविट्ठगसंठाणसंठिया जोइसियाण विमाणा तिरियलोए फालियामया रम्भा छप्पनं खलु भागा विच्छिन्नं चंदमंडल अडवीसंच कलाओ बाहल्लं तस्स असंखेज्जा ॥82॥ होइ। बोद्धव्वं ॥ 87 ॥ 28
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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