SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (प्रज्ञापनातुलना) किण्णर किंपुरिसे खलू 5 सप्पुरिसे खलु तहामहापुरिसे 61 अइकाय महाकाए 7 गीयरईचेवगीतजसे 8। सण्णिहिया सामाणा 1 धाय विधाए 2 इसीय इसिपाले 3। ईसर महेसरे या 4 हवइ सुवच्छे विसालेय 5॥ हासे हासरई विय 6 सेते यतहाभवे महासेते 7। पयते पययपई विय 8 नेयव्वाआणुपुव्वीए।' जोइसियापंचविहा पन्नत्ता। तंजहाचंदा 1 सूरा 2। गहा 3 नक्खत्ता 4 तारा 5॥ अद्धकविठ्ठगसंठाणसंठितासव्वफलियामया। जोइसियाणं देवाणं तिरियमसंखेज्जाजोइसियविमाणावाससतसहस्सा' तुलना- जम्बूद्वीप्रज्ञप्तिः छप्पण्णंखलु - भाए - विच्छिण्णं चंदमंडलं होइ। अट्ठावीसंभाए बाइल्लंतस्सबोद्धव्वं॥ 1. (क) प्रज्ञापनासूत्र - मुनि मधुकर, पृ. 165, 168,169. (ख) तिलोयपण्णत्ति-महा. 3 गाथा 25, 34-49 2. (क) प्रज्ञापनासूत्र - मुनिमधुकर, पृ. 112, सूत्र-142 (1) (ख) तिलोयपण्णत्तिमहा. 7, गाथा 7 3. वही, पृ. 170, सूत्र-195 (1)
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy