SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लवणस्स समुद्दस्स बावत्तरिं नागसाहस्सीओ बहिरियं वेलं धारंति ॥ ' वायुकुमाराणं छण्णउइं भवणावाससयसहस्सा पण्णत्ता । । ' तुलना - प्रज्ञापना: चोवडं असुराणं 1 चुलसीती चेव होंति णागाणं 2 । बावत्तरं सुवणे 3 वाउकुमाराण छण्णउई 4 ॥ दीव - दिसा - उदहीणं विज्जुकुमारिंद - थणिय - मग्गीणं । छण्हं पि जुअलयाणं छावत्तरिमो सतसहस्सा 10 ॥ चीत्तीसा 1 चत्तालीसा 2 चोत्तीसं चेव सयसहस्साइं 3 ॥ छायाला 4 छत्तीसा 5-10 उत्तरओ होंति भवणाई ॥ ' 4 पिसाया 1 भूया 2 जक्खा 3 रक्खसा 4 किन्नरा 5 किंपुरिसा 6 । भुयगवइणो य महाकाया 7 गंधव्वगणा य निउणगंधव्वगीत रइणो ॥ 8॥ काले य महाकाले 1 सुरुव पडिरूव 2 पुणभद्दे य । अमरवइ माणिभद्दे 3 भीमे य तहा महाभीमे 4 ॥ 1. प्रज्ञापना, पृ. 930, सूत्र - 353. 2. वही, पृ. 155, सूत्र - 433. 3. प्रज्ञापनासूत्र - मधुरमुनि, द्वितीय स्थान पद पृ. 160, सूत्र 178 गाथा 138-139. 4. वही पृ. 160, सूत्र - 187, गाथा - 140 - 141 27
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy