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________________ 239 कहलाती है । इन तिथियों में उपनयन, प्रतिष्ठा, गृहारम्भ आदि कार्य करना वर्जित है । इस प्रकार विभिन्न कार्यों के लिए शुभाशुभ तिथियों का विचार कर अशुभ तिथियों का त्याग करना चाहिए । 3. नक्षत्रद्वार- व्रततिथिनिर्णय नामक ग्रंथ में अश्विनी, भरणो, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती ये 27 नक्षत्र हैं। घनिष्ठा से रेवती तक पाँच नक्षत्रों में पंचक माना जाता है। इन पाँचों नक्षत्रों में तृण-काष्ठ का संग्रह करना, खटिया बनाना एवं झोंपड़ी छवाना निषिद्ध है। अश्विनी, रेवती, मूल, आश्लेषा और ज्येष्ठ इन पाँच नक्षत्रों में जन्में बालक को मूल दोष माना जाता है। उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद और रोहिणी ध्रुव एवं स्थिर संज्ञक है । इनमें मकान बनवाना, बगीचा लगाना, जिनालय बनवाना, शांति और पौष्टिक कार्य करना शुभ होता है । स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र चर संज्ञक हैं । इनमें मशीन चलाना, सवारी करना, यात्रा करना शुभ है। पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, भरणी और मघा उग्र अथवा क्रूर संज्ञक हैं । इनमें प्रत्येक शुभ कार्य त्याज्य है। विशाखा और कृतिका मिश्र संज्ञक नक्षत्र हैं । इनमें सामान्य कार्य करना अच्छा होता है । हस्त, अश्विनी पुष्य और अभिजित क्षिप्र अथवा लघु संज्ञक है। इनमें दुकान खोलना, ललित कलाएँ सीखना या ललित कलाओं का निर्माण करना, मुकदमा दायर करना, विद्यारम्भ करना, शास्त्र लिखना उत्तम होता है । मृगशिरा, रेवती, चित्रा और अनुराधा मृदु या मैत्र संज्ञक है। इनमें गायन-वादन करना, वस्त्र धारण करना, यात्रा करना, क्रीड़ा करना, आभूषण बनवाना आदि शुभ है । मूल, ज्येष्ठा आर्द्रा और आश्लेषा तीक्ष्ण या दारुण संज्ञक है। इनका प्रत्येक शुभ कार्य में त्याग करना आवश्यक है। I विष्कम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, 1. व्रततिथि निर्णय- नेमिचन्द्र शास्त्री - भारतीय ज्ञानपीठ, काशी पृष्ठ 76-78 भू. - -3
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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