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________________ 238 आरंभ नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार आगेवाली तिथियों को भी समझना चाहिए। ____ रविवार को चतुर्थी, सोमवार को षष्ठी, मंगलवार को सप्तमी, बुधवार को द्वितीया, बृहस्पति को अष्टमी, शुक्रवार को नवमी और शनिवार को सप्तमी तिथि विषमयोग संज्ञक होती हैं अर्थात् उपर्युक्त तिथियाँ रवि आदि वारों के साथ मिलने से विषम हो जाती हैं, इन विषम योगों में भी कोई शुभ कार्य आरंभ नहीं करना चाहिये। रविवार को द्वादशी, सोमवार को षष्ठी, मंगलवार को सप्तमी, बुधवार को अष्टमी, बृहस्पती को नवमी, शुक्रवार को दशमी और शनिवार को एकादशी तिथि हुताशनयोग संज्ञक होती हैं। इन तिथियों को भी रवि आदि वारों के संयोग होने पर शुभ कार्य करना त्याज्य है। चैत्र में दोनों पक्षों की अष्टमी, नवमी, वैशाख में दोनों पक्षों की द्वादशी, ज्येष्ठ में कृष्णपक्ष की चतुर्दशी, शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी, आषाढ़ में शुक्ल पक्ष की सप्तमी, कृष्णपक्ष की षष्ठी, श्रावण में द्वितीया, तृतीया, भाद्रपद में प्रतिपदा, द्वितीया, आश्विन में दशमी, एकादशी, कार्तिक में कृष्णपक्ष की पंचमी, शुक्लपक्ष की चतुर्दशी, मार्गशीर्ष में सप्तमी, अष्टमी, पौष में चतुर्थी, पंचमी, माघ में कृष्णपक्ष की पंचमी और शुक्लपक्ष की षष्ठी एवं फाल्गुन में शुक्लपक्ष की तृतीया मास शून्य संज्ञक है। इन तिथियों में मांगलिक कार्य आरंभ करने करने से वंश और धन की हानि होती है। ज्योतिष शास्त्र में उपर्युक्त तिथियाँ निर्बल बताई गई हैं। इनमें विद्यारंभ, गृहारंभ, वेदीप्रतिष्ठा, पंचकल्याणक, जिनालयारम्भ, उपनयन आदि कार्य नहीं करने चाहिये। ____ मेष और कर्क राशि के सूर्य में षष्ठी, मीन और धन के सूर्य में द्वितीया, वृष और कुम्भक सूर्य में चतुर्थी, कन्या और मिथुन के सूर्य में अष्टमी, सिंह और वृश्चिक के सूर्य में दशमी, मकर और तुला के सूर्य में द्वादशी तिथि दग्धा संज्ञक बताई गई है। __मतान्तर से धनु और मीन के सूर्य में द्वितीया, वृष और कुम्भ के सूर्य में चतुर्थ, मेष और कर्क के सूर्य में षष्ठी, मिथुन और कन्या के सूर्य में अष्टमी, सिंह और वृश्चिक के सूर्य में दशमी एवं तुला और मकर के सूर्य में द्वादशी तिथिसूर्य-दग्धा संज्ञक होती हैं। कुम्भ और धनु के चन्द्रमा में द्वितीया, मेष और मिथुन के चंद्रमा में चतुर्थी, तुला और सिंह के चंद्रमा में षष्ठी, मकर और मीन के चन्द्रमा में अष्टमी, वृष और कर्क के चन्द्रमा में दशमी एवं वृश्चिक और कन्या के चन्द्रमा में द्वादशी तिथि चंद्र-दग्धा
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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