________________
216
(20) सिद्धप्रामृत (21) सारावली (22) जीवविभक्ति।'
यहाँ एक बात विशेष रूप से दृष्टव्य है कि मुनि पुण्यविजयजी द्वारा सम्पादित एवं महावीर विद्यालय - बम्बई द्वारा प्रकाशित, जो पइण्णय सुताई भाग 1 एवं भाग 2 प्रकाशित हुए है, उनमें अजीवकल्प, अंगविद्या, सिद्धप्राभृत एवं जीवविभक्ति - ये चार प्रकीर्णक प्रकाशित नहीं हुए हैं।
मुनि पुण्यविजय जी द्वारा सम्पादित पइण्णय सुताइं भाग 1 एवं भाग 2 में निम्न प्रकीर्णकों का संग्रह है।
पइण्णय सुत्ताइंभाग 1- इसमें निम्न बीस प्रकीर्णक है :(1) देवेन्द्रस्तव (2) तन्दुलवैचारिक (3) चन्द्रवेध्यक (4) गणिविद्या (5) मरणसमाधि (6) आतुरप्रत्याख्यान (7) महाप्रत्याख्यान __(8) ऋषिभाषित (9) द्वीपसागरप्रज्ञप्ति (10) संस्थारक (11) वीरस्तव (12) चतुःशरण (13) आतुरप्रत्याख्यान (14) चतुःशरण (15) भक्तपरिज्ञा (16) आतुरप्रत्याख्यान (17) गच्छाचार (18) सारावली (19) ज्योतिषकरण्डक (20) तित्थोगाली पइण्णय सुत्ताइंभाग2- इसमें निम्न सात प्रकीर्णक एवं पाँच कुलक है :(1) आराधना पताका (प्राचीनाचार्य विरचित) (2) आराधना पताका (श्री वीरभद्राचार्य विरचित) (3) आराधनासार (पर्यन्त आराधना) (4) आराधना पत्रक (श्री उद्योतन सूरि विरचित कुवलयमालाकहाअंतर्गत) (5) आराधना प्रकरण (अभयदेवसूरि प्रणीत) (6) आराधना (जिनेश्वर श्रावक एवं सुलसा श्राविका) (7) आराधना (नन्दन मुनि द्वाराआराधित आराधना) (8) आराधनाकुलक (9-10) मिथ्यादुष्कृत कुलकभाग, 1-2 (11) आलोयणाकुलक (12)अल्पविशुद्धिकुलक
1. पइण्णयसुत्ताइं-मुनिपुण्यविजयजी- प्रस्तावना, पृ. 19। 2. वही, पृ. 20।