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________________ (25) अमोहे 1 सुप्पबुद्धे य 2 हिमवं 3 मंदिरे 4 इय। रुपगे 5 रुयगुत्तरे 6 चंदे 7 अट्ठमे य सुदंसणे 8 ॥ नाणारयणविचित्ता अणोवमा धंतरुवसंकासा । एए अट्ठ वि कूडा रुयगस्स वि होंति पच्छिमओ ॥ ( द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा 123-124) (26) विजए 1 य वेजयंते 2 जयंत 3 अपराइए 4 य बोद्धवे । कुंडल 5 रुयगे 6 रयणुच्चए 7 य तह सव्वरयणे 8 य ॥ नाणारयणविचित्ता उज्जोवेंता हुयासणसिहा व । अवि कूडा रुयगस्स हवंति उत्तरओ ॥ 168 (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा 125-126) ( 27 ) नंदुत्तरा । य नंदा 2 आणंदा 3 तह य नंदीसेणा 4 य । विजया 5 य वेजयंती 6 जयंति 7 अवराइया 8 चेव ॥ एया पुरत्थिमेणं रुयगम्मि उ अट्ठ होंति देवीओ। पुवेण जे उ कूडा अट्ठ विरुयगे तहिं एया । (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा 128-129) (28) लच्छिमई 1 सेसमई 2 चित्तगुत्ता 3 वसुंधरा 4 । समाहारा 5 सुप्पदिन्ना 6 सुप्पबुद्धा 7 जसोधरा 8 ॥ एयाओ दक्खिणेणं हवंति अट्ठ वि दिसाकुमारीओ । जे दक्खिणेण कूडा अट्ठ विरुयगे तहिं एया ॥ ( द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा 130-131 )
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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