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________________ 140 विध श्रुतस्कन्ध का उल्लेख हुआ है।' उससे भी यह स्पष्ट हो जाता है कि महाप्रत्याख्यान से पूर्व अंग आगम साहित्य की रचना हो चुकी थी । जहाँ तक नियुक्ति साहित्य का प्रश्न है, उसमें महाप्रत्याख्यान की 8 गाथाएँ पाई जाती है, इन आठ गाथाओं में से भी अधिकांश गाथाएँ मात्र ओघनिर्युक्ति में पाई जाती है। हमें ऐसा लगता है कि ये गाथाएँ महाप्रत्याख्यान से ही ओघनियुक्ति में गई है, क्योंकि ओघनिर्युक्ति का उल्लेख नन्दीसूत्र में नहीं है, जबकि महाप्रत्याख्यान का उल्लेख नन्दीसूत्र में हैं । अतः यह मानना होगा कि ओघनियुक्ति की रचना महाप्रत्याख्यान के बाद ही हुई है, इस आधार पर यह कहना अधिक युक्तिसंगत लगता है कि ये गाथाएँ महाप्रत्याख्यान से ही ओघनिर्युक्ति में गई होगी। चूर्णि साहित्य के विषय में तो हम यही कहना चाहेंगे कि चूर्णियों की रचना प्रकीर्णक साहित्य के बाद ही हुई है, क्योंकि नन्दी चूर्णी में तो महाप्रत्याख्यान का स्पष्ट नामोल्लेख भी उपलब्ध होता है ।' पुनः चूर्णियाँ तो मूलतः गद्य में ही लिखी गई हैं अतः उनमें महाप्रत्याख्यान की कोई गाथा उद्धृत भी हो तो यही मानना होगा कि उनमें ये गाथाएँ महाप्रत्याख्यान से ही गई हैं, क्योंकि कालक्रम की दृष्टि से जहाँ चूर्णियाँ सातवीं शताब्दी की है वहीं महाप्रत्याख्यान पाँचवीं शताब्दी के पूर्व की रचना है । अपनी विषय वस्तु की दृष्टि से महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक एक साधना प्रधान ग्रंथ है । इसमें मुख्य रुप से समाधिमरण तथा उसकी पूर्व प्रक्रिया का निर्देश उपलब्ध होता है । समाधिमरण जैन साधना का एक महत्वपूर्ण अंग माना जा सकता है। जैन परंपरा में साधक चाहे मुनि हो अथवा गृहस्थ, उसे समाधिमरण ग्रहण करने की प्रेरणा दी गई है। महाप्रत्याख्यान की कुछ गाथाएँ ऐसी हैं, जो साधक को समाधिमरण ग्रहण करने की प्रेरणा देती हैं, कुछ अन्य गाथाएँ ऐसी भी हैं जो आलोचना आदि का निर्देश करती है, वस्तुतः वे समाधिमरण की पूर्व प्रक्रिया के रूप में ही है। शेष अन्य गाथाओं का प्रयोजन साधक को समाधिमरण की स्थिति में अपनी मनोवृत्तियों को किस प्रकार रखना चाहिए, इसका निर्देश करना है । 1. 2. महाप्रत्याख्यान, गाथा 102 | नन्दीचूर्णि, सूत्र 81 ।
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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