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________________ 5. आचार्य कुन्दकुन्द (ईस्वी सन् लगभग 5वीं या 6ठीं शती) आचार्य कुन्दकुन्द दिगम्बर जैन साहित्याकाश के वे सूर्य है, जिनके आलोक से उनके परवर्तीकाल का सम्पूर्ण जैन साहित्य आलोकित है। किन्तु दुर्भाग्य यह है कि अन्य भारतीय आचार्यों के समान ही उनके जीवनवृत्त के सम्बन्ध में कोई भी अधिकृत जानकारी उनके और उनके सहवर्ती साहित्य से । हमें नहीं मिलती है। उनके और उनके साहित्य के आधार पर मात्र अटकलें ही लगाई जाती है। उनका वास्तविक गृही जीवन का नाम क्या था ?, उनके माता पिता कौन थे?, वे कब और किस काल में हुए – इसकी अधिकृत जानकारी का प्रायः अभाव ही है। यद्यपि यह बात सही लगती है कि उनके जन्मस्थान या निवासस्थान - कौण्डकौण्डपुर के आधार पर ही वे कुन्दकुन्द नाम से विख्यात हुए है। सामान्यतया उन्हें निम्न पाँच नामों से पहचाना जाता है- कुन्दकुन्द, पद्यनन्दी, वक्रगीव, गृद्धपिच्छ और एलाचार्थ कही-कही उन्हें बलाकपिच्छ भी कहा गया है। इनमें परवर्ती चार नाम तो निश्चय ही उनकी मुनि अवस्था से सम्बन्धित है और प्रथम नाम उनके निवासस्थल कौण्डकौण्डपुर से सम्बन्धित है। आज भी दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में व्यक्तियों के गाँव या नगर के नाम उनके नाम का ही एक हिस्सा होते हैं। सम्भवतः कुन्दकुन्द के साथ भी ऐसा ही हुआ हो और अपने गाँव के नाम से ही वे प्रख्यात हुए हो। पद्यनन्दी नाम उनकी दीक्षित अवस्था का नाम हो, किन्तु दिगम्बर आम्नाय में पद्यनन्दी नाम के अनेक आचार्य हो गये है, अतः इस नाम से उनकी पहचान कर पाना कठिन ही है, यद्यपि नन्दी नामान्त से कुछ विद्वनों ने उन्हें दिगम्बर आम्नाय के नन्दी संघ से जोडने का प्रयास किया है, किन्तु यह कितना.प्रमाणिक है, यह सिद्ध कर पाना कठिन है, यद्यपि नन्दीसंघ पट्टावली के पूर्व की हार्नले द्वारा सम्पादित नन्दीसंघ पट्टावली में पाचवें क्रम पर कुन्दकुन्द का नाम दिया है अन्य पट्टावलीयों में कुन्दकुन्द का नाम नही है। कुछ शिलालेखों में कुन्दकुन्दान्वय का नाम मिलता है। शिलालेखों में भी उनके नाम कुन्दकुन्द या पद्यनन्दी उत्कीर्ण है। अतः इतना निश्चित है कि ईसा की प्रथम सहस्राब्दि में वे निश्चित हुए है। शिलालेखों में ईसा की सातवीं शती के बाद से कून्दकुन्दान्वय के होने
SR No.006191
Book TitleJain Sahityakash Ke Aalokit Nakshatra Prachin Jainacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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