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________________ 25 29. यापनि (नी) य निर्ग्रन्थकुर्चकानां...। - जैन शिलालेख संग्रह, भाग-2, लेखक्रमांक 99. 30. णदा व णादमित्ता बिदिआ अवराजदा तइज्जा य गावद्धणा चउत्था पचमआ भद्दबाहुत्ति। - तिलोयपणत्ति, 4/1482. 31. (अ) बृहत्कथाकोश (हरिषेण), कथानक 131, श्लोक 45-81. (ब) भाव संग्रह (देवसेन), गाथा 52-70. टिप्पणी - ज्ञातव्य है कि जहाँ हरिषेण ने रामिल्ल, स्थविर एवं स्थूलभद्र नामक तीन आचार्यों का भद्रबाहु के शिष्य के रूप में उल्लेखित किया है, वहाँ भावसेन ने मात्र शान्त्याचार्य का उल्लेख किया है। इस प्रकार, दोनों कथानकों में नामों के संबंध में अन्तर्विरोध है। 32. निज्जवणभद्दगुत्ते वीसुंपढणंचतस्स पुव्वगयं। पव्वाविओयभायारक्खिअखमणेहिं जणओआ॥ - आवश्यकनियुक्ति, गाथा 776. 33. बृहत्कथाकोश, कथानक 131, श्लोक 62. 34. जैनधर्म का यापनीय सम्प्रदाय, सागरमल जैन, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, पृ. 44-45 एवं 363. 35. (अ) भद्रबाहु-चाणक्य-चन्द्रगुप्त कथानक, रइधू, 17, 18, 21, 22, 23. (ब) भद्रबाहुचरित्र, रत्ननन्दी, परिच्छेद 3, श्लोक 56-84. 36. जैनधर्म कामौलिक इतिहास, पृ.326-327, 343-344. 37. भद्रबाहु-चाणक्य-चन्द्रगुप्त कथानक, प्रस्तावना, पृष्ठ 5-6 एवं 9-12. 38. जैनशिलालेखसंग्रह, भाग 2, लेख क्रमांक 96. 39. देखें- (अ) कल्पसूत्र स्थविरावलि में विस्तृत वाचना उल्लेखित शिवभूति के शिष्य काश्यपगोत्रीयआर्यभद्रगुप्त और गौतमगोत्रीय आर्यभद्र। (ब) आचार्य भद्रान्वयभूषणस्य... - जैनशिलालेखसंग्रह, भाग-2, पृ. 57. 40. (अ) थेरस्स णं अज्ज सिवभूइस्स कुच्छगुत्तस्स अज्ज भद्दे थेरे अंतेवासी कासव गुत्ते। थेरस्स अज्ज कालए गोयमगुत्तस्स इमे दो थेरा-थेरे
SR No.006191
Book TitleJain Sahityakash Ke Aalokit Nakshatra Prachin Jainacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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