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________________ 149 __ 1. आगमग्रंथों एवं पूर्वाचार्यों की कृतियों पर टीकाएं- आचार्य हरिभद्र आगमों के प्रथम संस्कृत टीकाकार हैं। उनकी टीकाएं अधिक व्यवस्थित और तार्किकता लिए हुए हैं। 2. स्वरचित ग्रंथ एवं स्वोपज्ञ टीकाएं - आचार्य नेजैन दर्शन और समकालीन अन्य दर्शनों का गहन अध्ययन करके उन्हें अत्यंत स्पष्ट रूप में प्रस्तुत किया है। इन ग्रंथों में सांख्य योग, न्याय-वैशेषिक, अद्वैत, चार्वाक, बौद्ध, जैन आदि दर्शनों का प्रस्तुतिकरण एवं सम्यक् समालोचना की है। जैन योग के तोवेआदि प्रेणता थे, उनका योग विषयक ज्ञान मात्र सैद्धांतिक नहीं था। इसके साथ ही उन्होंनेअनेकान्तजयपताका नामक क्लिष्ट न्यायग्रंथ की भीरचना की। ___3. कथा-साहित्य - आचार्य आचार्य नेलोक प्रचलित कथाओं के माध्यम सेधर्म-प्रचार कोएक नया रूप दिया है। उन्होंनेव्यक्ति और समाज की विकृतियों पर प्रहार कर उनमें सुधार लानेका प्रयास किया है। समराइच्चकहा, धूर्ताख्यान और अन्य लघु कथाओं के माध्यम सेउन्होंनेअपनेयुगकी संस्कृति का स्पष्ट एवं सजीव चित्रांकन किया है। आचार्य हरिभद्रग्रंथ-सूची निम्न है 1. अनुयोगद्वार वृत्ति । 2. अनेकान्तजयपताका । 3. अनेकान्तघट्टा 4. अनेकान्तवादप्रवेश। 5. अष्टक। 6. आवश्यकनियुक्तिलघुटीका। 7. आवश्यकनियुक्तिबहुटीका। 8. उपदेशपदा 9. कथाकोश। 10. कर्मस्तववृत्ति। 11. कुलक। 12. क्षेत्रसमासवृत्तिा 13. चतुर्विशतिस्तुति। 14. चैत्यवंदनभाष्य। 15. चैत्यवंदनवृत्ति। 16. जीवाभिगमलघुवृत्ति। 17. ज्ञानपंचकविवरण। 18. ज्ञानदिव्यप्रकरण। 19. दशवैकालिक-अवचूराि 20. दशवैकालिकबहुटीका। 21.देवेन्द्रनरकेन्द्रप्रकरण। 22. द्विजवदनचपेटा। 23. धर्मबिन्दु। 24. धर्मलाभसिद्धिा 25. धर्मसंग्रहणी। 26. धर्मसारमूलटीका। 27. धूर्ताख्यान। 28. नंदीवृत्ति। 29. न्याय-प्रदेशसूत्रवृत्ति। 30. न्यायविनिश्चय। 31. न्यायमृततरंगिणी। 32. न्यायावतारवृत्ति। 33. पंचनिग्रन्थी। 34. पंचलिंगी। 35. पंचवस्तुसटीका 36. पंचसंग्रह। 37. पंचसूत्रवृत्ति। 38. पंचस्थानक। 39. पंचाशका 40. परलोकसिद्धिा 41. पिंडनियुक्तिवृत्तिा 42. प्रज्ञापनाप्रदेशव्याख्या। 43. प्रतिष्ठाकल्पा 44. बृहन्मिथ्यात्वमंथना 45. मुनिपतिचरित्र) 46. यतिदिनकृत्य। 47. यशोधरचरित।
SR No.006191
Book TitleJain Sahityakash Ke Aalokit Nakshatra Prachin Jainacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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