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________________ 121 (6) (8) (2) अन्य दर्शनों की समीक्षा में भी शिष्ट भाषा का प्रयोग तथा अन्य धर्मों एवं दर्शनों के प्रवर्तकों के प्रति बहुमानवृत्ति। (3) शुष्क दार्शनिक समालोचनाओं के स्थान पर उनअवधारणाओं के सार-तत्त्व और मूल उद्देश्यों कोसमझनेका प्रयत्ना उदार और समन्वयवादी दृष्टि रखतेहुए पौराणिक अंधविश्वासों का निर्भीक रूपसेखण्डन करना। (7) दर्शन और धर्म के क्षेत्र में आस्था या श्रद्धा की अपेक्षा तर्क एवं युक्ति पर अधिक बल, किंतु शर्त यह कि तर्क और युक्ति का प्रयोग अपनेमत की पुष्टि के लिए नहीं, अपितु सत्यकीखोज के लिए हो। धर्मसाधना कोकर्मकाण्ड के स्थान पर चरित्र की निर्मलता के साथ जोड़नेका प्रयत्न (9) मुक्ति के सम्बंध में एक उदार और व्यापक दृष्टिकोणा (10) उपास्यके नाम-भेद कोगौण मानकर उसके गुणों पर बल। अन्य दार्शनिक एवं धार्मिक परम्पराओं का निष्पक्ष प्रस्तुतिकरण . जैन परम्परा में अन्य परम्पराओं के विचारकों के दर्शन एवं धर्मोपदेश के प्रस्तुतिकरण का प्रथम प्रयास हमें ऋषिभाषित (इसिभासियाइं लगभग ई.पू. 3 शती) में परिलक्षित होता है। इस ग्रंथ में अन्य धार्मिक और दार्शनिक परम्पराओं के प्रवर्तकों, यथा-नारद, असितदेवल, याज्ञवल्क्य, सारिपुत्र आदि कोअर्हत् ऋषि कहकर सम्बोधित किया गया है और उनके विचारों कोनिष्पक्ष रूप में प्रस्तुत किया गया है। निश्चय ही वैचारिक उदारता एवं अन्य परम्पराओं के प्रति समादर भाव का यह अति प्राचीन काल का अन्यतम और मेरी दृष्टि में एकमात्र उदाहरण है। अन्य परम्पराओं के प्रति ऐसा समादर भाव वैदिक और बौद्ध परम्परा के प्राचीन साहित्य में हमें कहीं भी उपलब्ध नहीं होता। स्वयं जैन परम्परा में भी यह उदार दृष्टि अधिक काल तक जीवित नहीं रह सकी। परिणामस्वरूप यह महान् ग्रंथ जोकभी अंग साहित्य का एक भाग था, वहां सेअलग कर परिपार्श्व में डाल दिया गया। यद्यपि सूत्रकृतांग, भगवती आदि आगम-ग्रंथों में तत्कालीन अन्य परम्पराओं के विवरण उपलेब्ध होतेहैं, किंतु उनमें अन्य दर्शनों और परम्पराओं के प्रति वह उदारता और शालीनता परिलक्षित नहीं होती, जोऋषिभाषित में थी। सूत्रकृतांग अन्य दार्शनिक और धार्मिक मान्यताओं का
SR No.006191
Book TitleJain Sahityakash Ke Aalokit Nakshatra Prachin Jainacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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