________________
में रचित 'गाथासप्तशती' उनसे प्राचीन है, क्योंकि सातवाहन का काल प्रथम शती माना जाता है। मात्र यही नहीं, 'गाथासप्तशती' भी एक संग्रह ग्रन्थ है और इसकी अनेकों गाथाएँ उससे भी पूर्व रचित हैं, अतः परवर्ती भाषा महाराष्ट्री नहीं, शौरसेनी ही है।
5. 'अर्धमागधी प्राकृत, जो मात्र श्वेताम्बर जैन आगमों में मिलती है, का आधार शौरसेनी प्राकृत ही है'.
इस सम्बन्ध में भी विस्तार से चर्चा मैं इसी ग्रन्थ में प्रकाशित अपने स्वतंत्र लेख 'आगमों की मूल भाषा शौरसेनी या अर्धमागधी' में कर चुका हूँ। यह ठीक है कि अर्धमागधी में मागधी के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रीय बोलियों के शब्दरूप भी मिलते हैं। यद्यपि अर्धमागधी में अनेक स्थानों पर 'र्' का 'ल्' विकल्प से तो होता ही है, किन्तु इसमें मागधी के कुछ लक्षण जैसे सर्वत्र 'र्' का 'ल्', 'स्' का 'श्' नहीं मिलते हैं; फिर भी यह सुनिश्चित सत्य है कि भगवान् महावीर के वचनों के आधार पर सर्वप्रथम इसी अर्धमागधी प्राकृत में आगम और आगमतुल्य ग्रन्थों की रचना हुई है। ऐसी स्थिति में यह कहने का क्या अर्थ है कि अर्धमागधी प्राकृत का आधार शौरसेनी प्राकृत है। इसके विपरीत, सिद्ध तो यही होता है कि शौरसेनी प्राकृत का आधार अर्धमागधी है, क्योंकि शौरसेनी आगमों में अर्धमागधी आगमों और महाराष्ट्री के हजारों शब्दरूप ही नहीं, अपितु हजारों गाथाएँ भी मिलती हैं, इसकी सप्रमाण चर्चा भी हम अपने पूर्व लेख में कर चुके हैं।
पुनः आगमिक उल्लेखों से भी यही प्रमाणित होता है कि भगवान् महावीर ने अपने प्रवचन अर्धमागधी प्राकृत में दिये थे और उन्हीं के आधार पर गणधरों ने उसी भाषा में ग्रन्थ रचना की थी। भगवान् महावीर और उनके गणधरों की मातृभाषा मागधी थी, न कि शौरसेनी, क्योंकि वे सभी मगध में ही जन्मे थे। क्या प्रो. व्यासजी भाषाशास्त्रीय, साहित्यिक या अभिलेखीय प्रमाणों से यह सिद्ध कर सकते हैं कि श्वेताम्बर आगमों की अर्धमागधी प्राकृत का आधार शौरसेनी प्राकृत या उसमें रचित ग्रन्थ हैं ?
उपलब्ध अर्धमागधी आगमों, यथा - आचाराङ्ग, सूत्रकृताङ्ग, ऋषिभाषित आदि को पाश्चात्य एवं पौर्वात्य सभी विद्वानों ने ईस्वी पूर्व की रचनाएँ माना है, जबकि कोई भी शौरसेनी आगम ईसा की तीसरी - चौथी शती के पूर्व का नहीं है। इससे सिद्ध यही होता है कि शौरसेनी आगमों का आधार अर्धमागधी आगम है। आचार्य हेमचन्द्र ने अपने 'प्राकृत व्याकरण' में शौरसेनी प्राकृत के विशिष्ट लक्षणों की चर्चा करने के बाद अन्त में यह कहा