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जगजयवंत जीवावला 6. लोलपाटक (लालाड़ा) नगर में सर्प के उपसर्ग होने से मेरुतुङ्गसूरिजी ने
जीरावला पार्श्वनाथ महामंत्र यंत्र से गर्भित स्तोत्र की रचना की, जिससे
सर्प का विष अमृत हो गया। 7. संवत् 1886 में मगसर वदी 11 के दिन बड़ौदा में आचार्य शान्तिसूरि को
स्वप्न में भगवान ने प्रकट होने का कहा। शान्तिसूरिजी के कहने से सेठ ने जमीन खोदकर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा प्राप्त की। इस प्रतिमा को सर्व कल्याणकारिणी होने के कारण कल्याण पार्श्वनाथ के नाम से बड़ौदा
में मामा की पोल में प्रतिष्ठित किया गया है। ये थोड़े से महत्त्वपूर्ण प्रसंग आपके सामने रखे हैं। यदि आस्था रखें तो आप भी चमत्कृत हो जायेंगे।
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