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द्वितीय अध्याय / 45
को छोड़कर अन्य तीर्थंकरों के चरित्र बहुत ही संक्षेप से लिखे गये हैं। गुणभद्राचार्य के उत्तर पुराण के विषय में एक दन्त कथा प्रसिद्ध है -
जब जिनसेन स्वामी को इस बात का विश्वास हो गया कि अब मेरा जीवन समाप्त होने वाला है और मैं महापुराण को पूरा नहीं कर सकूँगा तब उन्होंने अपेन योग्य दो शिष्यों को बुलाया । बुलाकर उनसे कहा कि यह जो सामने सूखा वृक्ष खड़ा है, इसका काव्य वाणी में वर्णन करो । गुरुवाक्य सुनकर उनमें से पहले ने कहा, 'शुष्कं काष्ठं तिष्ठत्यग्रे' फिर दूसरे शिष्य ने कहा, ‘नीरसतरुरिह विलसति पुरतः । ' गुरु को द्वितीय शिष्य की वाणी में रस दिखा, अतः उन्होंने उसे आज्ञा दी कि तुम महापुराण को पूरा करो । गुरु आज्ञा को स्वीकार कर द्वितीय शिष्य ने महापुराण को पूरा किया । यह द्वितीय शिष्य गुणभद्र ही थे ।
2. आत्मानुशासन : यह भर्तृहरि की वैराग्य शतक शैली पर आधारित दो सौ बहत्तर पद्यों का बड़ा ही सुन्दर ग्रन्थ है ।
3. जिनदत्त चरित्र : अनुष्टुप् छन्द में रचित नव सर्गात्मक छोटा सा काव्य है, जो अति रम्य है ।
हरिवंश पुराण के द्वादशवें सर्ग में जयकुमार और सुलोचना की कथा का वर्णन हुआ है । महाकवि पुष्प दन्त प्रणीत महापुराण (आदिपुराण - उत्तर पुराण) में अपभ्रंश माध्यम से जयकुमार एवं सुलोचना की कथा निबद्ध की गयी है।
अपने शोध के सन्दर्भ में मैंने अनेक लोगों से पत्राचार द्वारा जो तथ्य उपलब्ध किये उनसे ज्ञात होता है कि कवि पंप विरचित ' आदि पुराण' (कन्नड़) में भी जय और सुलोचना का कथानक वर्णित है 1
भट्टारक सकलकीर्ति के 'आदि पुराण' ( 15वीं शताब्दी) भट्टारक चन्द्रकीर्ति के 'आदिपुराण' ( 17वीं शताब्दी) में भी जयकुमार चरित्र सम्भाव्य है । परन्तु लेखक को ये कृतियाँ देखने को नहीं मिल सकीं ।
इसके अतिरिक्त एक पुराण ही 'जयकुमार पुराण' के नाम से प्रसिद्ध है। पर वह अप्रकाशित है । अतः मुझे उसे भी देखने का अवसर नहीं मिल सका ।
जयोदय महाकाव्य की ऐतिहासिकता
जैनियों के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान् महावीर बुद्ध के समकालीन थे। बुद्ध निर्विवाद रूप से ऐतिहासिक पुरुष माने जाते हैं। वैसे ही जैन धर्म के भगवान् महावीर की भी ऐतिहासिकता पूर्णतः निर्विवाद है ।
जैन धर्म के तेइसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का काल भगवान् महावीर से दो सौ पचास वर्ष पूर्व का है । अतः पार्श्वनाथ के ऐतिहासिक होने में किंचित् सन्देह नहीं है । जैन धर्म के बाइसवें तीर्थंकर नेमिनाथ कृष्ण के चचेरे भाई थे। चूंकि कृष्ण को भारतीय इतिहासकार ऐतिहासिक पुरुष मानते हैं अतः नेमिनाथ भी निश्चय ही ऐतिहासिक हैं ।