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द्वितीय अध्याय / 35 अधम निशाचर कामदेव मुझ एकाकी के पीछे लगा हुआ है। यदि अष्टाङ्ग यम नियमासनप्राणायाम - प्रत्याहार - धारणाधार समाधिः' योगसूत्र का अवलम्बन लूँ तो कैसे निर्वाह हो सकता हैं । मेरे विरह का स्थान एक मात्र स्वयं मुख है । आश्चर्य है मेरा मन तो एकान्त में रहने वाला अनुराग रहित है परन्तु प्रियतमे तुम्हारा अधराग्र भाग प्राप्त है तो मन का अनुराग अनुकूल होगा ही।
इसी प्रकार बहुशः प्रेम वार्ता का वर्णन किया गया है । पति ने पत्नी का आकस्मिक नाम लिया आश्चर्य है । ऐसी स्थिति में पत्नी के लिये दी गयी मदिरा मद से भी बढ़कर भयङ्कर हो गयी तथा पत्नी के लिये केवल मदिरा को देखने मात्र से ही मद और बढ़ गया। मद्यपान कर प्याले का त्याग की हुई, जिसके अधर से मधुर मद्य चू रहा था ऐसी सुन्दरी के अधर भाग का अत्यन्त आदर से मधुर रसाल के समान दक्ष नायक ने तत्क्षण आस्वाद किया ।
मद्यपान का विलक्षण वर्णन कर कवि ने मद्यपान की अधमता का भी प्रकार दिखाया
इस सर्ग में नायक-नायिका भेद दृष्टि से भी व्यवहार का वर्णन किया गया है । जिसमें नायक-नायिका के हाव-भाव, कटाक्ष, विक्षेप का मनोरम चित्रण कर अनेक प्रकार के नायकनायिकाओं के चर्चा का वर्णन कर राजा कामदेव की स्तम्भन विद्या सुन्दरी का वर्णन किया गया है । तदनन्तर लालसोत्पादक स्वरूप में इस सर्ग की समाप्ति कर दी गयी है ।
सप्तदशः सर्ग : सत्रहवें सर्ग में रात्रि क्रीडा का वर्णन किया गया है । आद्योपान्त सर्ग का पर्यवसान इसी में हुआ है । अधिकतया सुरत वासना का निर्देश दिखाया गया है । अत्यन्त मानी एवं समृद्ध वियोगियों के चित्त को हरण करने एवं उन पर प्रहार हेतु बलवान् चन्द्रमा जब उदित हुआ तो ऐसा लगा सभी कामिजन अतिशय भयभीत होकर एकान्त में चले गये । जयकुमार ने सुरत निमित्त सुलोचना से याचना नहीं किया अपितु मौनता ही रति के प्रति उत्सुकता की सूचक हुई । रत प्रवृत्त जयकुमार ने सुलोचना के 'न' "न' जैसे पदों को ही आमन्त्रण मानकर लता रूप सुलोचना को स्वयं वृक्ष रूप में स्वीकार कर उसके अन्त:करण में सतत बने रहने का कामी हो गया ।
सुलोचना एवं जय की विविध मनोवृत्तियों का विस्तार से वर्णन करने के पश्चात् उनके प्रत्येक अङ्गों का विलक्षण वर्णन करते हुए उनकी अनेक चेष्टाओं तथा क्रीडाओं का चित्ताकर्षक वर्णन कर सर्ग की समाप्ति की गयी है । जो शिष्टों के सुरतोपहार के उपयुक्त सम्यक् सूक्तियों से युक्त क्रिया एवं चेष्टाओं से परिपूर्ण है ।