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132/जयोदय महाकाव्य का समीक्षात्मक अध्ययन 24. अलंक्रियते अनेनेति चारुत्वहेतुरलंकारः । यथा करचरणाद्रयवयवगतैर्वलयनूपुरादिमिस्त
दलंकारतया प्रसिद्धैरवयवी एवालंक्रियते तथा शब्दार्थावयवगतैरनुप्रासोपमादिभिस्तत् तदलंकारतया प्रसिद्धैरवयवीभूतं काव्यमुपच्क्रियते ।
- प्र. रु. य. भू, अलं. प्रक.-पृ. 336 25. यो हेतुः काव्य-शोभायाः सोऽलङ्कारः प्रकीर्त्यते । प्रतापरुद्रयशोभूषण. पृ.-335 26. अलंकार-भूषितं शब्दार्थरूपं काव्यशरीरम् ।
-काव्यानुशासन्, पृ.-53 27. शब्दार्थयोरस्थिरा ये धमाः शोभातिशायिनः । रसादोनुपकुर्वन्तोऽलंकारास्तेऽङ्गदादिवत् ॥
___- सा. द. 10/1 28. औयाधिक प्रकर्षहेतुरलंकार । अ. ति. परिच्छेद-4 29. अलंकारस्तु शोभायै ... 1 अलंकाराः कुण्डलादिवत् ॥ अ. शे. 1/22 30. काव्यात्मान, व्यङ्गस्य रमणीयता-प्रजोककमलंकारा । - रसगंगाधर, पृ.-248 31. साम्यं गच्यमवैधम्यं वाक्यैक्य उपमा द्वयोः । - सा. द. दशम परि. श्लोक 14 32. चि. मी. पृष्ठ-7 33.चि. मी. पृष्ट-7 34. उपमा दीपकं चैव रूपकं यमकं तथा ।
काव्यस्यैते ह्यलङ्काराश्चत्वारः । परिकीर्तिता ॥ ना. शां. 13/43 35. प्रतिवस्तु प्रभृतिरूपमाप्रपंचः । काव्या. सू. 4/3/1 36. अलङ्कार शेखर, पृ.-24 पर उद्धृत । 37.अलङ्कार सर्वस्व पृ.-22 38. रस गंगाधर 39.ज. म. 1/111 40.ज. म. 3/29 41.वही, 5/14 42. वही, 10/52 43.वही, 10/54 44. अलङ्कार सर्वस्वकार ने अलङ्कारों का वर्गीकरण इस प्रकार किया है - (1) भेदाभेद प्रधान अलङ्कार -
क- 1-उपमा, 2-उपमेयोपमा, 3-अनन्वय, 4- कारण ख- अभेद प्रधान आरोपमूलक छः अलङ्कार, 5- रूपक 6- परिणाम, 7- सन्देह, 8भ्रान्तिमान्, 9- उल्लेख, 10- अपह्नति ग- अभेद प्रधान अध्यवसाय मूलक दो अलङ्कार 11- उत्प्रेक्षा, 12- अतिशयोक्ति घ- अभेद प्रधान गम्य औपम्याश्रित पदार्थ वाक्यार्थमूलक पाँच अलङ्कार 13- तुल्योगिता, 14- दीपक, 15- प्रतिवस्तूपमा, 16- दृष्टान्त, 17- निदर्शना, 18-व्यतिरेक, 19-सहोक्ति, 20-विनोक्ति, 21- समासोक्ति, 22-परिकर, 23,परिकराङ्कर, 24-श्लेष, 25-अप्रस्तुत
प्रशंसा, 26-अर्थान्तरन्यास, 27-पर्यायोक्त, 28-व्याजस्तुति, 29-आक्षेप । . (2) विरोधमूलक ग्यारह अलङ्कार- 30-विरोध, 31-विभावना, 32- विशेषोक्ति 33-असङ्गति,
34-विषम, 35 सम, 36-विचित्र, 37-अधिक, 38-अन्योन्य, 39-विशेष, 40-व्याघात (3) शृङ्खलावद्धमूलक तीन अलङ्कार -41-कारणमाला, 42-एकावली, 42-सार ।