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________________ न्यायालय :- अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश, भीनमाल (जालोर) ईजलास : श्री संदीप कुमार शर्मा, आर.एच.जे.एस. आपराधिक अपील प्रकरण सं. 02/2010 ईश्वरलाल पुत्र कालुराम, जाति खत्री, उम्र 51 वर्ष, निवासी सांचोर, जिला जालोर। अपीलार्थी/ अभियुक्त विरुद्ध राजस्थान राज्य जरिए अपर लोक अभियोजक । प्रत्यर्थी/ राज्य अपील विरुद्ध निर्णय व दण्डादेश दिनांक 16.04.2010 जो कि नरेन्द्र कुमार न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम वर्ग, सांचोर द्वारा आप नियमित प्रकरण सं. 38/1996 राज्य विरुद्ध ईश्वरलाल अन्तर्गत रा 295ए भा.दं.सं. में पारित किया गया। उपस्थित श्री हरिशंकर राजपुरोहित, अधिवक्ता वास्ते अपीलार्थी/अभियुक्त । श्री वी.एस. माथुर, अपर लोक अभियोजक वास्ते प्रत्यर्थी/ राज्य । श्री किस्तूरचंद चौपड़ा, श्री श्रवणसिंह राव, अधिवक्ता वास्ते परिवादी । दिनांक 28 सितम्बर 2013 निर्णय अपीलार्थी / अभियुक्त ईश्वरलाल ने यह अपील न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग, सांचौर द्वारा आप नियमित प्रकरण सं. 38 / 1996 राज्य विरुद्ध ईश्वरलाल, अन्तर्गत धारा 295ए भा.दं.सं. में पारित निर्णय व दण्डादेश दिनांक 16.04.2010 के विरुद्ध प्रस्तुत की है, जिसके अधीन उन्होंने अभियुक्त/अपीलार्थी को धाराण 295 भा.दं.सं. के आरोप में तीन वर्ष के साधारण कारावास तथा 5000/- रु. के अर्थदण्ड, अदम अदायगी अर्थदण्ड 6 माह का साधारण कारावास के दण्ड से दण्डित किया, जिससे व्यथित होकर यह अपील प्रस्तुत की है। नकल अपर लोक अभियोजक को दिलाई जाकर, अधीनस्थ न्यायालय का अभिलेख तलब किया गया। प्रस्तुत प्रकरण के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी लक्ष्मीचंद पी. ड. -1 ने दिनांक 25. 05.1994 को पुलिस थाना सांचौर पर उपस्थित होकर एक रिपोर्ट प्रदर्श पी-1 इस आशय की पेश की कि मुस्तगीस जैन धर्म का अनुयायी है तथा मुलजिम ईश्वरलाल पत्रिका 'सत्यपुर टाईम्स' का संपादक है तथा अपने आप को अनोप मण्डल का सदस्य बतलाता है । मुस्तगीस को जैन धर्मावलम्बी होकर उसकी जैन धर्म के दर्शन, साहित्य, सिद्धान्त में अटूट आस्था है, जैन धर्म एक मानव धर्म है जो जगत जीवों को सत्य अहिंसा का बोध देता है। अभियुक्त ने दिनांक 15.02.1994 को प्रकाशित अपने समाचार पत्र सत्यपुर टाईम्स के अंक सं. 42 में जैन बनियों की राक्षसों से तुलना की गई तथा जैन धर्म के विरुद्ध घिनौना दुष्प्रचार किया गया। अंक 43 दिनांक 22.02.1994 में मुलजिम ने जैन महाजनान की तुलना रावण, हिरणकुस, कंस व कांसन से की तथा जैन धर्म के विरोधी अनोप स्वामी द्वारा जगत हितकारिणी, हरचंद सोनी द्वारा प्रकाशित चिंतामणी आत्मपुराण के अंशों को प्रकाशित कर जैन धर्मावलम्बियों के प्रति भयंकर दुष्प्रचार किया, जबकि उक्त पुस्तकें राज्य सरकार ने आदेश सं. एफ. 25 (9) बी एच 56 दिनांक 05.01. 74♦
SR No.006170
Book TitleAnup Mandal Ki Apradhik Karyavahi Ke Viruddh Rajy Sarkar Dwara Jari Adhisuchnaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
PublisherBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
Publication Year2015
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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