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________________ दिया जाकर इस अपराध में 3 साल के कठोर कारावास व 5000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया व अदम अदायगी जुर्माना 6 माह का साधारण कारावास और भुगतने का आदेश दिया। इस निर्णय व दंडादेश के विरुद्ध अभियुक्त ने माननीय अपर सेशन न्यायाधीश, भीनमाल के न्यायालय में अपील की जो अपीलीय न्यायालय में दांडिक अपील प्र.सं. 7/05(54/1998) दर्ज होकर अपीलीय न्यायालय द्वारा दिनांक 5.9.2006 को इसका निर्णय करते हुए इस न्यायालय का अलग निर्णय व दंडादेश दिनांक 20.5. 1998 को अपास्त करते हुए पत्रावली इस न्यायालय को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित की कि वे अपीलांट/अभियुक्त द्वारा प्रस्तुत साक्षीगण व अपीलांट/अभियुक्त स्वयं को बचाव साक्ष्य के रूप में पर्याप्त अवसर देकर और यदि ऐसे साक्षी या अभियुक्त स्वयं को बचाव साक्षी के रूप में प्रस्तुत करता है तो उनकी साक्ष्य लेखबद्ध करके अभियोजन पक्ष को प्रतिपरीक्षण का समुचित अवसर दिया जाकर उभय पक्षकारान को पुनः सुनकर विधि अनुसार निर्णय पारित करें। अपीलीय न्यायालय से उक्त निर्णय के साथ पत्रावली प्राप्त होने पर प्रकरण पुनः उसी नंबर पर दर्ज किया गया। 3. बचाव पक्ष की ओर से डी.ड. 1 ईश्वरलाल अभियुक्त, डी.ड. 2 भैराराम, डी.ड. 3 अमृतलाल के बयान लेखबद्ध करवाये गये व दस्तावेजी साक्ष्य में दस्तावेजात प्रदर्श डी. 1 से लगायत प्रदर्श डी. 35 प्रदर्शित करवाये गये। अभियोजन पक्ष को पर्याप्त अवसर दिया जाकर उभय पक्षकारान की बहस अंतिम सुनी गयी व पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 4. प्रकरण के निस्तारण के लिए न्यायालय के समक्ष विचारणीय बिन्दू यह है कि : "आया मुलजिम ने जैन धर्म की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए तथा उनके धार्मिक विश्वासों का अपमान करने की नियत से अपने समाचार पत्र 'सत्यपुर टाईम्स' साप्ताहिक के दिनांक 7.3.94, 27.12.93 व 25.5.94 के समाचार पत्रों में प्रतिबंधित ग्रन्थ जगतहितकारिणी व आत्मपुराण ग्रन्थों की बातें तथा अन्य बातें छापकर जैन धर्म के धार्मिक विश्वासों का अपमान किया और क्या अभियुक्त ने इस प्रकार धारा 295ए भा.दं.सं. के तहत दंडनीय अपराध कारित किया? यदि हां तो उपयुक्त दंड क्या होगा? 5. प्रकरण में अभियुक्त पर आरोपित अपराध को साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष द्वारा जो साक्ष्य पेश की गई है, उसमें न्यायालय को इस प्रकरण का निस्तारण करना है कि क्या अभियुक्त द्वारा अपने समाचार पत्र सत्यपुर टाईम्स साप्ताहिक के विभिन्न अंकों में जिसमें कि सत्यपुर टाईम्स साप्ताहिक का अंक दिनांक 7.3.1994, दिनांक 27.12.1993 व दिनांक 29.5.1994 के समाचार पत्र में प्रतिबंधित ग्रन्थ जगतहितकारिणी व आत्मपुराण की बातें एवं जैन धर्म के धार्मिक विश्वास के लिए अपमानजनक एवं ठेस पहुंचाने वाली बातें छापकर जैन समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत किया? इस संबंध में अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्षी अ.सा. 1 लक्ष्मीचंद मेहता ने सशपथ कथन किया है कि ईश्वरलाल सत्यपुर टाईम्स साप्ताहिक का संपादक है। प्रार्थी जैन बणिया है तथा भगवान महावीर के सिद्धान्तों को मानता है। अनूप मण्डल का ईश्वरलाल सदस्य है जो प्रतिबंधित संस्था है। अनूप मण्डल की गतिविधियां जैन धर्म के खिलाफ होने के कारण प्रतिबंधित किया। अनूप मण्डल के ग्रन्थ जगतहितकारिणी व आत्मपुराण का प्रकाशन प्रतिबंधित किया। ईश्वरलाल द्वारा जैन धर्म व जैन अनुयायियों पर अपने अखबार के माध्यम से कीचड़ उछाला गया। चौरासी के चक्कर में जैन हिंसा करते हैं। जैनों की तुलना --684
SR No.006170
Book TitleAnup Mandal Ki Apradhik Karyavahi Ke Viruddh Rajy Sarkar Dwara Jari Adhisuchnaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
PublisherBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
Publication Year2015
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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