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न्यायालय :- न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम वर्ग, सांचोर (राज.) पीठासीन अधिकारी
श्री नरेन्द्र कुमार, रा.न्या.से. मूल आप. प्रकरण संख्या
38/96 राजस्थान राज्य
विरुद्ध ईश्वलाल पुत्र श्री कालूराम
जाति खत्री, निवासी सांचौर सम्पादक, सत्यपुर टाईम्स, साप्ताहिक, सांचौर
--- अभियुक्त ---
अपराध अन्तर्गत धारा 295ए भा.दं.सं. उपस्थित :1. श्री भोपालसिंह, सहायक अभियोजक, सरकार की ओर से। 2. श्री तुलसीराम जोशी, अधिवक्ता, अभियुक्त की ओर से।
-: निर्णय :-
दिनांक 16 अप्रैल, 2010 1. संक्षेप में प्रकरण के तथ्य इस प्रकार हैं कि फरियादी लक्ष्मीचंद ने दिनांक 25.5.94 को . पुलिस थाना, सांचौर पर उपस्थित होकर एक रिपोर्ट इस आशय की पेश की कि मुस्तगीस जैन धर्म का अनुयायी है तथा मुलजिम ईश्वरलाल पत्र 'सत्यपुर टाईम्स' का सम्पादक है तथा अपने आप को अनोप मण्डल का सदस्य बतलाता है। दिनांक 15.2.94 को प्रकाशित अपने समाचार सत्यपुर टाईम्स के अंक संख्या 42 में जैन बनियों की राक्षसों से तुलना की गई, अंक 43 दिनांक 22.2.94 में मुलजिम ने जैन महाजनान की तुलना रावण, हिरणाकुस, कंस व कांसन से की तथा जैन धर्म के कट्टर विरोधी अनोप स्वामी द्वारा जगत हितकारिणी, हरचंद सोनी द्वारा प्रकाशित चिंतामणी आत्मपुराण के अंशों को प्रकाशित कर जैन धर्मावलम्बियों के प्रति भयंकर दुष्प्रचार किया, जबकि उक्त पुस्तकें राज्य सरकार ने प्रतिबंधित कर रखी हैं। अंक संख्या 18 दिनांक 24.5.94 में भी घृणित प्रसार किया। इस प्रकार मुलजिम ने जैन धर्म के प्रति दुष्प्रचार कर साम्प्रदायिक सद्भावना को गहरी ठेस पहुंचाई आदि व पुलिस ने अभियोग सं. 135/94 धारा 153ए, 295ए भा.दं.सं. में मुकदमा कर अनुसंधान प्रारंभ किया व सामान्य अनुसंधान के पश्चात् अभियुक्त के विरुद्ध उक्त अपराध धारा 153ए, 295ए भा.दं.सं. में आरोप पत्र इस न्यायालय में पेश किया। अभियुक्त को धारा 153ए भा.दं.सं. के आरोप में न्यायालय द्वारा उन्मोचित किया गया व धारा 295ए भा.दं.सं. का आरोप अलग से विरचित कर सुनाया व समझाया गया तो अभियुक्त ने आरोप अस्वीकार कर अन्वीक्षा चाही।
2. अभियोजन पक्ष की ओर से अपने मामले के समर्थन में गवाह अ.सा. 1 लक्ष्मीचंद, अ. सा. गौतम भास्कर, अ.सा. डॉ. मोहनलाल डोसी, अ.सा. जसवंतसिंह के बयान लेखबद्ध करवाये। तत्पश्चात् अभियोजन ने शहादत पैरवी बंद कर व प्रलेखीय साक्ष्य में दस्तावेज प्रदर्श पी. 1 लगायत प्रदर्श पी 8 प्रदर्शित करवाये गये। अभियुक्त के बयान मुलजिम अन्तर्गत धारा 313 दं.प्र.सं. के तहत लिये गये व प्रतिरक्षा साक्ष्य पेश नहीं करने पर वरीयत बंद की जाकर बहस अंतिम सुनी जाकर दिनांक 20.5.1998 को इस न्यायालय द्वारा इस प्रकरण का निर्णय करते हुए अभियुक्त को धारा 295ए भा.दं.सं. में दोषी करार