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सजा के प्रश्न पर
मुलजिम को सजा के प्रश्न पर सुना गया। मुलजिम का कहना है, कि यह उसका प्रथम अपराध है। अत: उसे परिवीक्षा अधिनियम का लाभ दे कर छोड़ा जावे। प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए मैं मुलजिम को परिवीक्षा का लाभ देना उचित नहीं समझता हूं। मुलजिम का अपराध जनाक्रोश भड़काने वाला है तथा अपने केवल तुच्छ परिणामों के लिए मुलजिम ने सम्पूर्ण जैन समुदाय के धार्मिक भावनाओं को भड़काने का कार्य किया है जो अक्षम्य है। प्रकाशित समाचार पत्रों की प्रकृति देखने मात्र से ऐसा प्रतीत होता है, कि मुलजिम का उद्देश्य अखबार का प्रकाशन करना नहीं है, बल्कि समाज के व्यक्ति या वर्ग विशेष के विरुद्ध भावनाएं भड़काना है। अत: मुलजिम के कृत्य को देखते हुए मैं मुलजिम के प्रति कोई नरमी का रुख अपनाना उचित नहीं समझता हूं। तथा उसे सख्त से सख्त सजा दिया जाना उचित समझता हूं।
- आदेश - अतः मुलजिम ईश्वरलाल वल्द कालूराम, कौम-खत्री, निवासी-सांचोर, सम्पादक सत्यपुर टाईम्सय, साप्ताहिक, सांचोर को धारा 295ए भा.दं.सं. में दंडनीय अपराध करने के लिए 3 साल के कठोर कारावास तथा रुपये 5000/- जुर्माना से दंडित किया जाता है, अदम अदायगी जुर्माना अभियुक्त 6 माह का साधारण कारावास और भुगतेगा।
(ज्ञान प्रकाश गुप्ता) सिविल जज (कनिष्ठ खंड) एवं न्यायिक
___ मजिस्ट्रेट, प्रथम वर्ग-सांचोर निर्णय आज दिनांक 20 मई 98 को मेरे द्वारा खुले न्यायालय में लिखाया जाकर सुनाया गया।
(ज्ञान प्रकाश गुप्ता) सिविल जज (कनिष्ठ खंड) एवं न्यायिक
मजिस्ट्रेट, प्रथम वर्ग-सांचोर
नोट : 1. पृ.सं. 63 पर नीचे से दसवीं पंक्ति में मूल निर्णय में जहाँ गृह विभाग के आदेश
का संदर्भ दिनांक 5.1.97 टाइप हुआ है वह दिनांक 5.8.57 का है यह टाइप की
गलती से हुआ है। 2. पृ. 64 पर असल नोटिफिकेशन पेश करने का तथ्य है, वह श्री आर.एम.
कोठारी द्वारा राज. उच्च न्यायालय के पुस्तकालय से प्राप्त कर न्यायालय के अवलोकनार्थ सांचोर भिजवाया गया था। इन नोटिफिकेशनस के राजपत्र की स्केन कॉपी इस पुस्तक में प्रथम खण्ड में दी गई है।