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________________ पर लाकर संगठित किया तथा अनूप मण्डल के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही करने के साथ सरकार व प्रशासन पर दबाव बनाने के साथ आवश्यकता अनुसार न्यायालयों तक आपराधिक कृत्यों को उठाने का निर्णय लिया। इन सम्मेलनों में बामणवाडजी (सिरोही) का सम्मेलन ऐतिहासिक रहा जिसमें उस समय के गृहमंत्री श्री गुलाबचन्द कटारिया, विधानसभा अध्यक्ष श्री शांतिलाल चपलोत, राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री श्रीकृष्णमल लोढ़ा सहित राज्य के शीर्ष पदों पर रहे, अधिकारियों ने उपस्थित रहकर पूरे आन्दोलन को गतिमान किया और देव, धर्म एवं गुरु की रक्षा का संकल्प लिया। इसी संकल्प के बदौलत भीनमाल में घटित वीभत्स घटना एवं वरिष्ठ जैन साधु द्वारा प्रकरण में आत्महत्या से पूरे राजस्थान का जैन समुदाय बेहद उद्वेलित हो गया। यही कारण था कि इस प्रकरण में राज्य सरकार द्वारा जस्टिस कुदाल के नेतृत्व में गठित कुदाल आयोग (राजस्थान हाईकोर्ट के सिटिंग जज) गठित किया। आयोग के सम्मुख, भारतीय संस्कति समन्वय संस्थान, भीनमाल जैन समाज ने प्रभावी पैरवी तीन वर्ष तक निरन्तर की। वहीं वर्ष 1957 में राज्य सरकार की अधिसूचना के आधार पर प्रभावी ढंग से अनूप मण्डल पर रोक लगाने, जगतहितकारिणी का सार्वजनिक पाठ, जुलूसों पर रोक लगाने सहित सभी सम्भव प्रयास किये गये। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री भैरोसिंह शेखावत से जयपुर के सचिवालय भवन में जैन समाज के प्रबुद्ध 51 सदस्यों ने तत्कालीन गृहमंत्री श्री कैलाश मेघवाल, तत्कालीन मुख्य सचिव मीठालाल मेहता की उपस्थिति में भेंट कर अनूप मण्डल व उनके ग्रंथ व जुलूसों पर प्रभावी रोक, उनके द्वारा प्रकाशित जहर उगलने वाले आलेखों पर प्रतिबंध तथा जैन साधु-साध्वियों को एक स्थान से दूसरे क्षेत्र में विचरण (विहार) के दौरान सम्बन्धित थानों द्वारा सुरक्षा प्रदान करने की मांग की। जिस पर मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत ने तुरन्त प्रभावी निर्देश जारी कर तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक (आई.जी.) श्री नमोनारायण मीणा को पूरे प्रकरण की जांच का प्रभारी बना, अनूप मण्डल के प्रतिबंधित साहित्य पर प्रभावी रोक लगाने व दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही के निर्देश दिये। आई.जी. श्री मीणा ने एक सप्ताह में कार्यवाही करते हुए अनूप मण्डल के साहित्य का सृजन करने वाले लोगों व उनके कई प्रतिष्ठानों पर छापे मारकर बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित साहित्य जब्त कर कार्यवाही कर मामले दर्ज किये। भारतीय संस्कृति समन्वय संस्थान का मुख्यालय जोधपुर में स्थापित कर अनूप मण्डल के गैर कानूनी कृत्यों, जुलूसों, जगतहितकारिणी आदि के विरुद्ध जन जागृति करने व जानकारी मिलते ही प्रशासन की सहायता से निरन्तर सम्बन्धित जिले में कार्यवाही की जाती रही है उसी का परिणाम है कि अनूप मण्डल राजस्थान में सार्वजनिक रूप से जैन समुदाय के विरुद्ध जहर उगलने या जैन साधु-साध्वियों पर हमले व ओगाह छीनने की घटनाओं पर काफी अंकुश लगा लकिन अब चिन्ता व खेद इस बात का है कि अनूप मण्डल अपनी गतिविधियों का विस्तार गुजरात व महाराष्ट्र राज्यों में निरन्तर बढ़ा रहा है। दोनों राज्यों में स्थापित जैन संगठनों को हमने सतर्क कर प्रभावी काननी व प्रशासनिक कार्यवाही का अनुरोध किया है अन्यथा कहीं यह समस्या गजरात व महाराष्ट्र में अधिक भयावह व विस्फोटक न हो जाये। इस पुस्तक का प्रकाशन अब इसलिये भी जरूरी हो गया है कि जैन समाज की नई पीढ़ी को समुचित मार्गदर्शन मिले व सतर्कता बरत सकें और उन्हें अनूप मण्डल के संदर्भित सभी तथ्य, राज्यादेश, अधिसूचनाएं एवं न्यायालयों के फैसले एक साथ दस्तावेज के रूप में उपलब्ध कराये जा सके। साथ ही ये सब रेफरेन्स व इतिहास का हिस्सा बन सके।
SR No.006170
Book TitleAnup Mandal Ki Apradhik Karyavahi Ke Viruddh Rajy Sarkar Dwara Jari Adhisuchnaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
PublisherBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
Publication Year2015
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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