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________________ , डॉ. चंचलमल चोरड़िया संयोजक, प्रचार प्रकोष्ठ. भारतीय संस्कृति समन्वय संस्थान संदेश साधु अनूपदास एवं हरचंद सोनी द्वारा रचित पुस्तकें एवं साहित्य जिन्हें राजस्थान सरकार ने अपनी अधिसूचना दिनांक 05.08.1957 एवं 20.11.1957 तथा सिरोही राज्य में सन् 1920 में जब्त करने एवं प्रतिबंधित करने के आदेश जारी किये थे, उसी साहित्य का साधु अनूपदास के अनुयायी (भाविक) प्रचार-प्रसार कर जैन देव, गुरु व धर्म के विरुद्ध शत्रुता, घृणा और वैमनस्य फैलाने का कुकृत्य एवं दण्डनीय अपराध कारित करते हैं। ___ यही नहीं यह भाविक संगठित होकर जैन साधु-साध्वियों पर प्राणघातक हमले करना, मंदिर, उपाश्रय में लूट-पाट करना आदि अपराध पिछले 95 वर्ष से कर रहे हैं। अनूप मण्डल के भाविकों द्वारा जैन देव, गुरु व धर्म के विरुद्ध किये जाने वाले अपराधों को रोकने, विरोध करने तथा राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन का ध्यान आकर्षित कर इन्हें दण्डित करने के उद्देश्य से 18 अगस्त 1996 को भारतीय संस्कृति समन्वय संस्थान की स्थापना की गई एवं मेरी राय में यह संस्थान अपने उद्देश्य में सफल हुआ है। इस पुस्तक में राजस्थान सरकार द्वारा इनका साहित्य जब्त करने की अधिसूचनाओं को प्रकाशित किये गये राजस्थान राजपत्र, सिरोही राज्य (ब्रिटिश समय में) द्वारा पारित विभिन्न आदेश, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं अन्य न्यायालयों के निर्णय, इस संस्थान द्वारा जारी परिपत्रों का समावेश किया गया है। कानूनी प्रक्रिया किस प्रकार अमल में लाई जावे, 13 अक्टूबर 1996 परिपत्र में विस्तृत रूप से लिखा गया मैं आशा करता हूँ कि भविष्य की पीढ़ी इससे लाभान्वित होगी एवं देव, गुरु एवं धर्म के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी कार्यवाही का संगठित होकर कड़ा विरोध करेगी एवं ऐसे समाज कंटकों को दण्डित कराने में सफल होगी।
SR No.006170
Book TitleAnup Mandal Ki Apradhik Karyavahi Ke Viruddh Rajy Sarkar Dwara Jari Adhisuchnaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
PublisherBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
Publication Year2015
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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