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29. पेरा 28 में वर्णित प्रकाशन को परिपत्र के रूप में छपवाकर सभी कार्यकर्ताओं व धार्मिक स्थलों में वितरित किये गये तथा इसे फ्रेम में मण्डवाकर सभी मंदिरों, धर्म स्थलों में लगाये गये ताकि सभी जैनों को इसकी पूर्ण जानकारी मिल सके।
30. पेरा 20 में वर्णित परिपत्र में आदिनांक 28.8.2000 तक के तथ्य जोड़कर पुनः प्रकाशित किया गया है।
___31. संस्थान द्वारा जैनियों को अल्प संख्यक घोषित करने के लिए राज्य सरकार एवं अल्पसंख्यक आयोग को 18.11.99,24.1.99, 6.2.2000 0 20.5.2000 को लिखा गया व मुख्यमंत्रीजी को मिलकर भी निवेदन किया गया। अब राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 15.9.2000 को निर्णय देकर राजस्थान में जैनियों को अल्पसंख्यक घोषित कर दिया गया है।
32. संस्थान के द्वारा पूर्व के अनुच्छेदों में वर्णित प्रयत्नों के बावजूद कुछ दुखद पहलू भी हैं, जिनका संक्षिप्त विवरण आगे दिया जा रहा है।
33. समाज के सभी सदस्यों को 18.8.1996, 13.1096, नवम्बर (दीपावली पर) 1996, 13.2. 1997, 20.2.97, 12.4.98 व 2 अक्टूबर 1999 को बार बार निवेदन किया गया कि उनके क्षेत्र में समाज द्वारा कराये गये जन कल्याणकारी कार्यों का विवरण भिजावें ताकि उनका संकलन कर प्रकाशित किया जा सके। मगर इस बारे में कहीं से भी सूचना प्राप्त नहीं हुई है। यह विडम्बना ही है कि परोपकार के कार्यों में सबसे आगे रहने पर भी जैन समाज को उपकृत लोगों की गालियां सुनने को मिल रही है।
- 34. पुलिस प्रशासन के साथ उच्च स्तरीय बैठक में संस्थान के पदाधिकारियों को पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जैन समाज के प्रतिनिधि मुकदमे तो दायर करा देते हैं. मगर गवाही देने ब मामले
की पैरवी करने में कोताही बरतते हैं, उन्होंने 1949 (बेड़ा), 25.8.80 (कोलरगढ़), 19.5.83 (सिरोही), • 1975 (सुजानपुरा) 1951-52 (सिरोही), 1956 व 1971 (पिण्डवाड़ा), जून 1997 (भीमाणा) के
मामलों का संदर्भ दिया व बताया इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के कारण मुकदमों में मुलजिमान बरी हो जाते हैं तथा उनके हौसले बढ़ जाते हैं। उन्होंने व्यक्त किया कि समाज के व्यक्तियों को भी लक्ष्मीचंद मेहता, पूर्व विधायक, सांचोर का अनुकरण करना चाहिए जिनका उल्लेख पेरा 24 में किया गया है।
____35. कुछेक जैन साधु व राजनीतिज्ञ अनूप मण्डल के भाविकों को व उनके पदाधिकारियों को प्रश्रय देते हैं, आर्थिक मदद देते हैं, दिलाते हैं तथा समारोहों में आसन प्रदान करते हैं व बाद में उन्हीं से गालियें सुनते हैं, यही नहीं अनूप मण्डल के सक्रिय कार्यकर्ताओं का पदस्थापन भी प्रभावित क्षेत्र में कराते
हैं।
___ 36. राज्य सरकार द्वारा सभी जिलों में पुलिस प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि जैन साधुओंसाध्वियों के चातुर्मास एवं विहार के समय समुचित पुलिस सुरक्षा प्रदान की जावे ताकि कोई अप्रिय घटना घटित नहीं होवे। मगर साधु-साध्वी व श्रावक इस बारे में थाने में सूचना नहीं देते हैं व स्वयं भी साधुसाध्वियों को विहार के समय साथ में रहकर सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं।
37. संस्थान का सभी जैन बन्धुओं से निवेदन है कि :(अ) आज जैन समाज की दशा जटिल है। संपत्ति है, सत्ता है, बुद्धि है मगर एकत्व के अभाव
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