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________________ प्रस्तावना - श्री सुरेशचन्द्र डी सुराणा . एडवोकेट महासचिव एवं अध्यक्ष श्री राजस्थान जैन संघ राजस्थान की सिरोही रियासत में रियासतकाल में अनूप मण्डल नाम की संस्था का गठन कुछ समाज कंटक लोगों ने जैन समाज के प्रभाव को कम करने एवं उनके विरुद्ध द्वेष व दुर्भावना फैलाने के उद्देश्य से किया था। रियासत काल में जैन समाज के साथ अनूप मण्डल नाम से कुछ समाज कंटक किसी न किसी प्रकार से जैन समाज के लोगों को सताते रहे। रियासत भी उन समाज कंटकों से परेशान हुई एवं अनूप मण्डल संस्था के कार्य कलाप पर रोक लगा दी। अनूप मण्डल के नाम से कुछ साहित्य जो विशेष कर जैन विरोधी था का प्रकाशन कर उसका प्रचार व प्रसार रियासत काल में हुआ। राजस्थान राज्य के गठन के पश्चात् जैन समाज के प्रयास से अनूप मण्डल के साहित्य के प्रचार, प्रसार उल्लेख, कोपी करने आदि पर सन् 1957 में रोक लगा दी थी व उसके पश्चात् भी सिरोही-जालोर-पाली जिलों के कुछ हिस्सों में अनूप मण्डल के समाज कंटकों ने अपनी गतिविधि जारी रख कर जैन समाज के मंदिरों, सम्पत्ति, धर्म गुरुओं, उपासरों व सम्पत्ति को क्षति कारित की जिसके लिए भारतीय संस्कृति समन्वय संस्थान ने सम्माननीय न्यायाधिपति श्री जसराजजी चौपड़ा, सम्माननीय रंगरूपमलजी कोठारी, सम्माननीय राजकुमारसिंहजी भण्डारी आदि समाज के प्रबुद्ध नागरिकों के नेतृत्व में समाज कंटकों के विरुद्ध प्रभावी लड़ाई लड़ते हुए इन तीन जिलों में अनूप मण्डल की गतिविधियों पर अंकुश लगाया है एवं विभिन्न स्तर पर कानूनी लड़ाई में हर मुकदमे में विजयश्री प्राप्त की है। मुझे भी अनूप मण्डल के विरुद्ध कार्य करने का अवसर मिला है। अनूप मण्डल की गतिविधियों पर तैयार पुस्तक जैन समाज के युवा वर्ग एवं विभिन्न संघों एवं पेढियों के लिए मार्ग दर्शन देगी एवं समाज कंटकों से लड़ने की प्रेरणा देगी। मैं उक्त पुस्तक के प्रकाशन में सहयोग करने वाले सभी महानुभावों का आभारी हूं। .10.
SR No.006170
Book TitleAnup Mandal Ki Apradhik Karyavahi Ke Viruddh Rajy Sarkar Dwara Jari Adhisuchnaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
PublisherBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
Publication Year2015
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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