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• करने के बाद दण्डनायक द्वारा जाँच कार्यवाही की जावेगी, जांच कार्यवाही प्रारम्भ होने के पश्चात् (इसके पूर्व किसी भी स्टेज पर नहीं) व जांच की समाप्ति के पूर्व, आपको चाहिए कि आप दण्डनायक को कारणों सहित जो लेखबद्ध किये जायेंगे, कि शान्ति भंग होने, या किसी अपराध के किये जाने को रोकने के लिए या लोक सुरक्षा के लिए (जैसा भी इस्तगासे के तथ्यों की परिस्थिति हो उस व्यक्ति को प्रतिभूति सहित शान्ति रखने, सदाचारी बने रहने के लिए पाबन्द किया जाने की रिपोर्ट करें। मजिस्ट्रेट की संतुष्टि होने पर वह उसे पाबन्द ( इन्टरीम बाण्ड लेगा ) करेगा और यदि वह बन्ध पत्र - जमानत मुचलके नहीं देगा तो उसे गिरफ्तार कर जेल भेज देगा।
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इस प्रकार पाबन्द होने इन्टरीम बाण्ड के बावजूद यह लोग सदाचार नहीं रखते हैं या शान्ति भंग करते हैं अपराध करते हैं तब ऐसे तथ्यों की रिपोर्ट कर साक्ष्य देकर जमानत मुचलके के बन्ध पत्र (बाण्ड) जब्त कराये जा सकते हैं।
जांच की कार्यवाही यदि छः माह की अवधि में पूर्ण नहीं हो पाती है तो धारा 116 (6) दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानुसार सामान्यतया जांच समाप्त कर दी जाती है। ऐसी परिस्थिति में पुनः नया इस्तगासा पेश कर नये सिरे से उन्हें पाबन्द कराने व इन्टरीम बाण्ड पर पाबन्द करने की कार्यवाही की जानी चाहिए ।
उपरोक्त कार्यवाही कर दिये जाने के बावजूद भी वे व्यक्ति यदि अपराध करने पर उतारू हो तो पुलिस या कार्यपालक दण्डनायक को प्रार्थना पत्र देकर धारा 144 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत दो माह की अवधि के लिए लोक शान्ति भंग होने को रोकने के लिए निषेधाज्ञा जारी करानी चाहिए।
इस बारे में निम्न निर्णय महत्वपूर्ण है :
1. इश्तयाक हुसैन फारूकी ए आई आर 1988 सुप्रीम कोर्ट 93
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"Right to profess religious is not absolute right, but must yeild to maintenance of public order....... The District Magistrate with a view to avoiding any possible breach of peace would take necessary steps well in advance for the purpoe of maintaining public order which would be in the larger interests of the society" (WS 144 Cr.PC)
2. बाबुलाल - 1961, 3 सुप्रीम कोर्ट रिपोर्टर 423
"Order prohibiting the showing of provocative slogans is not vague as the expression is to be understood in the context in which it has been used."
3. जगन्नाथ ए 1940 एन 134
"Freedom of speech is guaranteed subject to certain reasonable restrictions (Art 19 of constitution) freedom of speech is meant to be enjoyed in a manner consistent with the maintenance of peace and order."
यदि उपरोक्त समस्त कार्यवाही करने के बावजूद वे मेले या सत्संग में जमा होते हैं जिससे लोक शान्ति भंग होने की संभावना हो तो कार्यपालक दण्डनायक या थाने के इन्चार्ज ( थाने के इन्चार्ज की
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